जिम मे जाने वाले को स्टेरोइड का नाम पता होगा लेकिन कई लोगो को इसकी जानकारी शायद ही होगी, की – Steroids Precautions Be Safe Strong :
- स्टेरोइड क्या है?
- इसे कैसे लेना चाहिए।
- इसे लेना चाहिए या नही और
- अगर लेना चाहिए तो कितना लेना चाहिए।
यह कुछ सवाल है वो कई लोगो के मन मे है। इस आर्टिक्ल मे हम इसी बात पर चर्चा करेंगे।
स्टेरॉयड – क्या है?
सरल भाषा मे स्टेरॉयड का पूरा नाम एनबोलीक एंड्रोजोनिक स्टेरॉयड (anabolic–androgenic steroids) है जिसे शॉर्ट फॉर्म मे AAS भी कहा जाता है।
यह एक मानव निर्मित होर्मोन है जो की इंसान के सेक्स और विकास से संबंध रखता है। और मसल ग्रोथ को बढ़ावा देते है। यह दवा मानव शरीर मे टेस्टोस्टोरोन ओर डिहाइड्रोटेस्टोस्टोरोन को बढ़ावा देता है।
स्टेरॉयड को सबसे पहले 1930 मे बनाया गया ओर जांच के बाद इसे ग्रोथ होर्मोन के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा।
क्या तुम्हें पता है ? स्टेरोइड को कई साल पहले कैंसर जैसे भयानक बीमारी के लिए इज़ात किया गया। लेकिन इसमें मसल बनाने के गुण की वजह से, जिम जाने वाले और बॉडी बिल्डर ने लेना शुरू किया।
लोग क्यों लेते हैं – अनाबोलिक स्टेरॉयड?
- यह शरीर में मांसपेशियों को बढ़ाने और मजबूत बनाने मे, मदद करता है।
- मोटापा कम करता है और
- माना जाता है कि इससे शारीरिक स्टैमिना बढ़ता है।
लोग सुन्दर दिखने और अच्छी बॉडी बनाये रखने, के लिए इन ड्रग्स का इस्तिमाल नियमित रूप से और डॉक्टर के सुझाव बिना करे जा रहे है।
इस तरह के उपयोग से यह स्टेरॉइड्स बहुत गंभीर दुष्प्रभाव और लत पैदा कर सकते हैं।
कौन लोग लेते हैं – यह ड्रग?
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि हम में से हर कोई खूबसूरत, स्मार्ट क्यूट या हैंडसम दिखना चाहता है।
यही वजह है कि अब लोग अपना काफी समय ब्यूटी पार्लर या जिम में बिताते हैं।
यह तब तक तो ठीक है, जब तक हम अच्छा दिखने या बॉडी बनाने के लिए दवा अथवा इंजेक्शन नहीं ले रहे।
स्टेरॉइड्स के हमारी बॉडी पे जादुई नतीजे देख के - सभी उम्र के लोग, विशेष रूप से युवा लड़के/लड़कियाँ, एथलेटिक्स, बॉडी-बिल्डर, मॉडल, मीडिया उद्योग के लोग, सामाजिक आइकन - स्टेरॉयड का दुरुपयोग करने के लिए ज्यादा जाने जाते हैं।
Body Dysmorphic Disorder – स्टेरॉयड की ओर जाता है!
लोग अपने रूप-रंग को लेकर इतने सचेत रहते हैं कि वे अपने शरीर की खामियों को लेकर सारे दिन चिंतित रहते हैं, ये खामियां अक्सर दूसरों को नजर भी नहीं आतीं।
यह एक मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है, जो की बॉडी दिसमोर्फिक डिसऑर्डर (Body Dysmorphic Disorder) कहलाता है।
- भारत में नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, 1184 रोगियों में से 62 रोगी बॉडी दिसमोर्फिक डिसऑर्डर की इस समस्या के सकारात्मक पाए गए- लगभग 5.2%
- कहा जाता है कि यह समस्या अमेरिका में – 50 में से 1 व्यक्ति को प्रभावित करती है।
यह लोग “एनाबॉलिक स्टेरॉयड” ले सकते हैं क्योंकि वे खुद को शारीरिक रूप से सुन्दर, पर्याप्त रूप से बड़ा, या मजबूत नहीं पाते। उनका मानना है कि “एनाबॉलिक स्टेरॉयड” लेने से वह फिट, स्वस्थ और मजबूत बनेगे।
लेकिन, मेरे प्यारे दोस्तों यह सच नहीं!
“अनाबोलिक स्टेरॉयड” एक खतरनाक आदत है।
कैसे लिया जाता है – अनाबोलिक स्टेरॉयड?
अनाबोलिक स्टेरॉयड आमतौर पर 3 तरीकों से लिए जाते हैं:
इंजेक्शन:
इसे मांसपेशियों में इंजेक्ट किया जाता है।
गोलियां
ये मुंह से खाई जाती हैं।
क्रीम या जैल
क्रीम या जैल के रूप में भी आते हैं, जो सीधे त्वचा पर लगायी जाती है।
बहुत से लोग जानते हैं कि इस तरह की दवा लेना बहुत जोखिम भरा और खतरनाक है, लेकिन उनके साथी या आस-पास के लोग गलत सिखाते है की एक निश्चित तरीके से लेने से दुष्प्रभावों से बचा जा सकता हैं। बिलकुल झूठ!
ऐसा कोई अध्ययन या प्रमाण नहीं है जो “यह दर्शाता हो कि किसी निश्चित तरीके से स्टेरॉयड लेना सुरक्षित हो सकता है।“
बॉडी बिल्डर अधिक व्यायाम करते हैं, जब वे स्टेरॉयड लेते हैं।
अनाबोलिक स्टेरॉयड के दुष्प्रभाव?
नियमित रूप से अनाबोलिक स्टेरॉयड लेना, पुरुषों और महिलाओं दोनों में शारीरिक और मनोवैज्ञानिक परिवर्तनों के लिए संभावित खतरनाक है।
इससे हार्ट अटैक, लीवर या किंडी फेलियर, हाई बीपी, हाई कोलेस्ट्रॉल, ब्लड क्लॉट आदि जैसी समस्या हो सकती है।
अगर यह दवाएं/ड्रग्स इतनी खतरनाक हैं तो सरकार इन पर बैन क्यों नहीं लगा देती?
स्टेरॉयड का उपयोग हमारे अपने देश भारत में अवैध है लेकिन डॉक्टर द्वारा लिखित नुस्खे के बाद इसका उपयोग किया जा सकता है।
इस स्टेरॉयड पर आयुर्वेद का क्या कहना है
काेराेना के दाैरान मरीजों काे ठीक करने के लिए ऐलोपैथी में काफी स्टेरॉयड और एंटीबायोटिक दिए गए, जिससे मरीज उस समय ताे ठीक हाे गए लेकिन बाद में उन्हें साइड इफेक्ट्स और कई दिक्कतें आईं।
लेकिन आयुर्वेद में, ऐलोपैथी की ही तरह, स्टेराॅयड्स हैं, जाे कि मरीज काे बिना किसी नुकसान के नेचुरल तरीके से लाभ पहुंचाते हैं।
यह बात जाेधपुर आयुर्वेदिक युनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर वैद्य बनवारी लाल गाैड़ ने कही। वे धनवंतरी काॅलेज में ऑल इंडिया आयुर्वेदिक कांग्रेस द्वारा आयोजित आयुर्वेद पर्व में बाेल रहे थे।
उन्हाेंने कहा कि “आयुर्वेद में कालीमिर्च, साैंठ और पिपली स्टेरॉयड का काम करते हैं। कालीमिर्च में ऐलाेपैथी की भांति स्टेरॉयड के तत्व हैं या नहीं इसका टेस्ट करवाया गया ताे उसमें नेचुरल स्टेरॉयड के तत्व मिले। “
आयुर्वेद में नेचुरल स्टेरॉयड से मरीजों का इलाज कर उनकी इम्युनिटी बढ़ाई जा रही है।
सभी 3 जड़ी-बूटियाँ- अश्वगंधा, सफ़ेद मूसली और शतावरी, मांसपेशियों की वृद्धि को बढ़ाने में मदद करती हैं।
- अश्वगंधा मांसपेशियों और ताकत को बढ़ाता है।
- शतावरी और सफ़ेद मूसली भी मांसपेशियों के लाभ, रिकवरी को बढ़ावा देते हैं और दुबली मांसपेशियों के निर्माण में मदद करते हैं।
- शतावरी में शतावरी होती है जो प्रोटीन संश्लेषण को बढ़ावा देने में मदद करती है।
निष्कर्ष
दोस्तों, हम सभी भगवान द्वारा बनाए गए हैं, उसकी रचना बहुत निपुण हैं।
ध्यान से समझना – माँ का दूध न मीठा है और न ही खट्टा, न गर्म और न ही ठंडा, इस तरीके से बना है की बच्चा उसे पीके कभी बीमार नहीं हो सकता, चाहे वो माँ अमीर या गरीब घर की हो ।
वैसे ही एक ही तरह की मिट्टी है, एक ही तरह का पानी, एक तरह की खाद है – लेकिन फिर भी वही मिटटी एक ही समय में मिर्च और गन्ना पैदा करती है।
है ना कमाल की रचना ?
उसी भगवान, अल्लाह, या गुरु नानक जी ने हमे सुन्दर शरीर दिया है, लेकिन स्टेरॉइड्स खा-खा के हम बहुत अन्धकार और बीमारियों में गिरे जा रहे है।
मेरे छोटे भाई-बहनों से गुजारिश है की आप इन स्टेरॉइड्स का सेवन ना करे और अपने दोस्तों से भी यह ब्लॉग साझा करे।
जय हिन्द!
-हर्ष चतुर्वेदी
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1 thought on ““खूबसूरत जिस्म” या “बॉडी बिल्डर” जैसा शरीर चाइए? Steroids से सावधान! जानें – क्या, क्यों, कब, कितना आदि!”