गाय का महत्व किसी से छिपा नहीं, और ऐसा ही गाय-का-घी है। इसका सही उपयोग कई बीमारियों को ठीक करे, बिना किसी साइड इफेक्ट के।
नमस्ते दोस्तों, मैं हूँ डॉक्टर प्रिया। ठण्ड का मौसम है और पेशेंट्स काफी बढ़ रहे है, कई लोगो को मैं सलाह देती हूँ के अपने नाक में गाय का शुद्ध घी डाले। ये सुनकर काफी लोग चकरा जाते है यह सोचकर की भला गाय के घी का ऐसा क्या फायदा हो सकता है ? अगर आप भी गाय के घी को नाक में डालने के जादुई फायदों से अनजान है तो कोई बात नहीं। हमारे ब्लॉग पढ़े और नियमित तौर पर इसे अम्मल करे।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि शुद्ध घी भारतीय खाना पकाने या घर का एक अनिवार्य हिस्सा रहा है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि शुद्ध गाय के घी का उपयोग सर्दी, साइनसाइटिस और बंद नाक के इलाज के लिए भी किया जा सकता है।
हिन्दू धर्म में “गाय को माता” माना जाता है?
वेदों से लेकर महाभारत और चरक तक, सभी प्राचीन भारतीय शास्त्रों में ऐसे असंख्य संदर्भ हैं जो बताते हैं कि प्राचीन भारत में गाय के दूध और दूध-उत्पादों का उपयोग न केवल पोषण के लिए, बल्कि उपचारात्मक और रोग निरोधी भोजन/दवा के रूप में भी किया जाता रहा है।
गाय जिसका दूध हम बचपन से ही पीते आए हैं। पनीर, गुड़, खोया, मक्खन, छाछ, मिष्ठी दोई, दही, और उसके दूध से बने ऐसे कई उत्पाद जो हम खाते आरहे हैं। वह अपने बच्चे के हिस्से का दूध हमसे साझा करती है।
गाय के दूध/घी के इन्हीं गुणों (Gaaye Ke Ghee Ke Fayde) के कारण ही – इसे अमृत प्रदान करने वाली, स्वास्थ्य, धन, समृद्धि, यश और सम्मान प्रदान करने वाली “गौ माता” के रूप में माना गया है।
गाय-का-घी, के बारे में क्या कहते है हिन्दू वेद?
अथर्ववेद के तीसरे अध्याय (3-12-8 अथर्ववेद) के 12वें कांड के 8वें मंत्र में गाय-के-घी के महत्व और मूल्य पर जोर दिया गया है
“घृतस्य धरमरितेन संभृतम्”
जिसमें “घृतस्य-अमृत से भरी धारा” का उल्लेख किया गया है।
इसी तरह वेदों में कई अन्य स्थानों पर, घी को एक सात्विक भोजन के रूप में वर्णित किया गया है, जो शरीर की शक्ति और जीवन शक्ति को बढ़ाता है (ऋग्वेद – 10-19-7)।
घी का उपयोग शरीर को मजबूत बनाता है और जीवन काल को बढ़ाने में मदद करता है (अथर्ववेद (2-13-1)।
हमारे प्राचीन शास्त्रों में घी को देवताओं का आहार बताया गया है।
कौन सा घी बेहतर है, गाय का घी या भैंस का घी?
गाय का घी हल्के पीले रंग का होता है, जबकि भैंस के दूध से बना घी एकदम सफेद होता है।
- गाय के दूध और घी को अधिक सात्विक – शुद्ध माना जाता है। दूसरी ओर, भैंस का दूध और घी अधिक तामसिक है – इंद्रियों को सुस्त करने वाला।
- गाय के घी में सभी पांच तत्व होते हैं – ईथर, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी। यह ओजस के समान है जो सूक्ष्म जीवन शक्ति है जो किसी की ऊर्जा, जीवन शक्ति और प्रतिरक्षा के लिए जिम्मेदार है।
- भैंस के घी की तुलना में गाय के घी में न्यूट्रिशनल वैल्यू काफी अधिक पायी जाती है।
खुद को संक्रमणों/बीमारियों से मुक्त रखने का सबसे अच्छा तरीका?
गाय का घी चमत्कारी काम करता है, जब इसकी कुछ बूंदों को सीधे नाक में (नस्य) डालने के लिए उपयोग किया जाता है।
क्या हम अपने नाक में गाय का घी डाल सकते है?
इसका उत्तर है, हां! आप शुद्ध गाय-के-घी को अपनी नाक में डाल सकते हैं।
आयुर्वेद में इलाज का सबसे अच्छा तरीका पहले बचाव को माना गया है, फिर इलाज को।
नस्य एक अद्भुत आयुर्वेदिक उपचार है जो शरीर से कई संक्रमणों को दूर रखता है और शरीर को डिटॉक्स भी करता है।
कहा जाता है ‘नस्य ही शिरसो द्वारम‘ अर्थात नाक मस्तिष्क का प्रवेश द्वार है।
यह सिर, मुंह, दांत, कान, नाक, आंख और समग्र स्वास्थ्य से संबंधित सभी विकारों में मदद करता है।
हम अपने नाक में शुद्ध घी कैसे डाले?
गाय के घी की दो बूंद सुबह (या) रात नाक में डालने से लाभ होता है।
- घी तरल रूप में और गुनगुना होना चाहिए।
- इसे रुई, ड्रॉपर या छोटी उंगली की मदद से डाले
- घी इस तरह डाले कि आपका सिर आपके कंधे से नीचे हो। ऐसा करने के लिए आप अपने कंधे के नीचे तकिया रख सकते हैं।
- डालने के बाद, अगले 5-10 मिनट लेटे रहे और इसे खींचे नहीं, इसको मस्तिक में खुद जाने दे।
- रात को सोते वक़्त डालना सबसे अच्छा।
जब घी का सेवन मुंह से किया जा सकता है तो इसे नाक मार्ग से लेने का क्या महत्व है?
हमेशा याद रखें कि शुद्ध गाय का घी नासिका मार्ग के माध्यम से मस्तिष्क के उच्च केंद्रों (Higher chakras) तक पहुंचता है और काम करता है जो हमे शारीरिक स्वस्थ्य प्रदान करने वाले न्यूरोलॉजिकल, एंडोक्राइनल और इतर कार्यों को नियंत्रित करता है।
शुद्ध घी को नाक मार्ग से लेना अधिक प्रभावशाली क्यों होगा?
- यह नाक मार्ग को सिंचित करता है, जिससे बलगम को पतला करने में मदद मिलती है और सिलिया (Nostril hair) में सुधार करता है ताकि साइनस मार्ग से बैक्टीरिया और अन्य वायरस को दूर करने में मदद मिल सके।
- घी जब नासिका में डाला जाता है, तो पहले हमारे मस्तिष्क में जाता है, फिर आँखों, फिर कानों में जाता है, जिससे यह सारे सिस्टम का मार्ग साफ हो जाता है।
- यह बंद नाक और जमाव को खोल देता है।
घी को नाक में डालने के 21+ बेहतरीन फायदे
- शुद्ध गाय का घी जब नथुनों में डाला जाता है, तो वह पहले मस्तिष्क में पहुँचकर फैलता है, फिर पहुँचकर आँखों में फैलता है, फिर पहुँचकर कानों में फैलता है, और फिर पहुँचकर कंठ में फैल जाता है, प्रत्येक को विषमुक्त और पोषण देता है।
- ऐसा करने से आपके मेंदु तक फैटी एसिड पोहोचते है। यह अधिक महत्वपूर्ण अणु हैं जो आपकी वैचारिक क्षमता को बढ़ाते है ।
- यह आपके तंत्रिका तंत्र को फिर से जीवंत करके एकाग्रता, सीखने और याददाश्त में सुधार करता है।
- यह घबराहट, चिंता, माइग्रेन, और चक्कर आना ठीक करता है।
- यह अनिद्रा यानी नींद न आने की समस्या को भी दूर करने में मदद करता है।
- यह ड्राई-आई-सिंड्रोम को ठीक करने में भी मदद करता है।
- यदि आप अपना अधिकांश समय स्क्रीन पर बिताते हैं, चाहे वह मोबाइल हो या लैपटॉप, तो आपके लिए यह अत्यंत आवश्यक हो जाता है कि आप अपनी नाक में दो बूंद शुद्ध गाय का घी डालें। (1)
- न्यासा उपचार संतुलन विकारों, वर्टिगो (बीपीपीवी), भूलभुलैया, कान के संक्रमण, टिनिटस, सुनवाई हानि, (hearing problems) ओटिटिस के इलाज के लिए भी गाय के घी को अच्छा माना जाता है।
- यह नाक की भीड़, नाक से खून आना, राइनाइटिस, साइनसाइटिस, एलर्जी, एनोस्मिया, हाइपोस्मिया, पेरोस्मिया, फैंटोस्मिया को ठीक करता है।
- यह पीरियडोंटल बीमारी, दांतों के क्षरण और दांतों की संवेदनशीलता और दांतों के दर्द को ठीक करने के लिए भी अच्छा है।
- यह ब्रेन स्ट्रोक/क्लॉट्स, पैरालिसिस के खिलाफ उपयोगी है।
- यह आपकी गर्दन की मांसपेशियों, गले और नाक को लुब्रिकेट करने में मदद करता है।
- यह शरीर के कई दर्द और सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस को ठीक करने में मदद करता है।
- जैसा कि हम महामारी के बीच में हैं, हम सभी अपनी प्रतिरक्षा के बारे में चिंतित हैं। यह उपाय आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है और आपको मौसमी वायरल संक्रमण और बुखार से बचाता है।
- यह थेरेपी आपके बालों और त्वचा की गुणवत्ता में सुधार करने में आपकी मदद करेगी और दोनों को बेदाग बनाएगी, यहां तक कि यह सुस्वादु काले बालों में उभरने वाली सफेदी को कम करने में भी मदद करती है
- दो बूंद आपके मूड को अच्छा करने में मदद कर सकती हैं और आपको तनाव से भी राहत दिला सकती हैं
- एक छोटी चम्मच घी पिघला कर आप नाक की मालिश भी कर सकते हैं। अपनी छोटी उंगली में थोड़ा सा शुद्ध गाय का घी लें और नासिका के भीतरी अस्तर की मालिश करें। लगभग तुरंत, रुकावट और भीड़ कम हो जाती है।
- नाक के लिए, देसी घी अनावश्यक विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल कर अच्छा काम करता है।
- घी की एक और विशेषता शीतल प्रकृति की होने के कारण यह क्रोध और चिड़चिड़ेपन को नियंत्रित कर व्यक्ति को शीघ्र शान्त कर देता है।
- अन्य सभी घी से ऊपर, गाय का घी सबसे अच्छा है क्योंकि यह सात्विक होता है, यह हमारे मस्तिष्क में अच्छे विचार लाता है और हमारे मस्तिष्क की गुणवत्ता में सुधार करता है।
- अगर आप वृद्धावस्था में हैं और चीजों को भूलते रहते हैं तो न्यासा उपचार आपके लिए सबसे अच्छा है।
क्या हम शुद्ध गाय के घी को रोजाना नाक में डाल सकते हैं?
जी हां, आप प्रतिदिन शुद्ध गाय के घी को अपनी नाक में डाल सकते हैं।
निष्कर्ष
आयुर्वेद में इसे विष-नाशक कहा गया है। इसलिए कहा जाता है कि बच्चे हो या बूढ़े, दिमाग को मजबूत करना हो तो घी का सेवन करना चाहिए।
यह घी आपको ही नहीं बल्कि आपकी आने वाली सभी पीढ़ियों को नया जीवन देगा। यह गर्दन के ऊपर के सभी रोगों के लिए अच्छा है।
तो आपके घर में रखा गाय-घी और उस घी की दो-बूंद आपको नया जीवन दे सकते हैं।
4 thoughts on “Migraine, Cervical, Brain-Stroke, Teeth Problems, Hearing Problems, ऐसी 21 बीमारी करे जड़ से ठीक! सिर्फ “दो बूंद” गाय-का-घी?”