23 वर्षीय पुरुष का आयुर्वेदिक उपचार – Psoriasis (Case Study)

स्वस्थ और सुन्दर त्वचा- एक अच्छे स्वस्थ शरीर का प्रतिबिंब है और समाज में सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है।

इस ब्लॉग में हम सोरायसिस के एक टाइप की बीमारी, पाल्मो-प्लांटर सोरायसिस (PALMO-PLANTAR PSORIASIS) के आयुर्वेदिक उपचार का केस स्टडी देखेंगे।
Case Study of Ayurvedic Treatment Palmo Plantar Psoriasis:

आयुर्वेद में इसे विपादिका के नाम से जाना जाता है।

पीड़ित की सच्ची कहानी

(दोस्तों, हम पीड़ित की पहचान गुप्त रखने के लिए, नकली नाम का उपयोग कर रहे हैं परन्तु बाकी सभी जानकारी सही है।)

आफताब शेख, एक 23 वर्षीय पुरुष रोगी, जो अपना घर खर्च ऑटो चलाके करता है। सन 2014 में इनको पैरो और हथेली में खुजली होनी शुरू हुई और देखते ही देखते December 2014 तक, आफताब के हाथो और पैरो पर:

  • धब्बे जो सूखे और उभरे हुए थे
  • स्केलिंग
  • खुजली और जलन की अनुभूति
  • दर्द
  • त्वचा पर दरार और हर बार खून बह रहा होता

अब तक आफताब को यकीन हो गया था कि वह किसी तरह के चर्म रोग से पीड़ित है।
डॉक्टरों को दिखाने के बाद उन्हें बताया गया कि वह त्वचा की गैर-संक्रामक बीमारी से पीड़ित हैं।

जिसे मेडिकल साइंस में पाल्मो-प्लांटर सोरायसिस कहा जाता है।

जून 2014 में स्टेरॉयड और एंटी-फंगल दवाओं से उनका एलॉपथी इलाज शुरू हुआ। इन दवाइयों से कुछ राहत तो मिली, लेकिन वह काफी नहीं था।

दिसंबर 2014 में यह गंभीर दर्द और सूखी खुजली के साथ भयानक रूप ले चुकी थी। अब आफताब ने अगले 6 महीने होम्योपैथिक उपचार लिया।
उसके बाद भी विभिन्न इलाज करवाए लेकिन खासा कोई राहत नहीं मिल रही थी, इसलिए उन्होंने आयुर्वेदिक उपचार को अपनाने का फैसला किया।

आफताब पर सोरायसिस का परिणाम

क्योकि यह बीमारी हाथो और पैरो पर थी, इसलिए इस बीमारी के चलते, आफताब अपने दैनिक-कार्यों में बहुत कुछ नहीं कर पा रहा था।
जैसे खाना, ठीक से गाड़ी चलाना, चलना, जूते न पहन पाना आदि।

यहाँ तक की उसके एकमात्र कमाई के स्रोत को भी प्रभावित कर रहा था- टाइम पे ऑटो ना चला पाना, हॉस्पिटल चक्कर काटना, दर्द के कारण कई कई दिनों तक घर बैठे रहना।

एक समय था जब वह इस से तनावग्रस्त, उदास, शर्मिंदगी और अकेला महसूस करने लग गया था।

सोरायसिस में आयुर्वेदिक उपचार क्यों बेहतर है?

सोरायसिस का इलाज है चुनौती पूर्ण

वैसे कई उपचार-विधियां उपलब्ध हैं, लेकिन इसकी बारम्बार होनेवाली प्रकृति, के कारण पाल्मो-प्लांटर सोरायसिस इलाज के लिए एक चुनौती है

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान कई उपचारों के साथ इसका इलाज करता है, लेकिन इन इलाज़ो के गंभीर दुष्प्रभाव है जैसे मोटापा, बोन-मैरो की कमी, किडनी फेलियर(गुर्दे की विफलता), लिवर की विफलता, आदि।
इसलिए सोरायसिस के पूर्ण इलाज के लिए सुरक्षित और प्रभावी दवा की खोज करना समय की आवश्यकता है।

यहाँ आयुर्वेद की भूमिका आती है।

आचार्य चरक ने उल्लेख किया था कि सभी कुष्ठ रोग- प्रकृति में त्रिदोष है।

पाल्मो-प्लांटर सोरायसिस एक ऐसी बीमारी है, जिसका आयुर्वेद में उल्लेखित किसी भी बीमारी से ठीक से संबंध नहीं है, लेकिन कुछ हद तक इसके लक्षणों के आधार पर इसे विपादिका (Vipadika) से जोड़ा जा सकता है, जो कि क्षुद्रकुष्ठ (Kshudrakushtha) के प्रकारों में से एक है।
इसमें मुख्य रूप से वात और कफ शामिल है।

आचार्य वाग्भट भी आचार्य चरक जी द्वारा बताए गए चीज़ो की पुष्टि करते है और साथ में हथेली और तलवों के त्वचा पर दरार आने की बात कहते हैं।

आफ़ताब का इलाज

आफताब ने 12-01-2017, को Prabuddha Ayurvedic Medical College, लखनऊ के स्वास्थ्यवृत (Swasthvritta OPD) में अपना रोग दिखाया।
वहां के डॉक्टरों ने पाया कि उनके हथेलियों और तलवों में 3 साल से गंभीर खुजली जारी थी। जांच करने पर- दोनों तलवों की त्वचा बेहद मोटी, सूखी और फटी हुई थी।

शरीर में पुरानी समस्या

आफताब का इलाज शुरू करने से पहले, आयुर्वेदिक चिकित्सक ने बेहतर उपचार प्रक्रिया के लिए उसके शरीर को बेहतर ढंग से समझने की कोशिश की। और उन्होंने पाया कि:

  • वह पिछले 5-6 साल से एसिडिटी (पेट में गैस) से पीड़ित थे।
  • वह धूम्रपान और तंबाकू चबाने का सेवन भी करता था।

अष्टविधा परीक्षा

(अष्टविधा परीक्षा – रोगों के पीछे के विभिन्न कारणों का पता लगाने के लिए, आयुर्वेद में महत्वपूर्ण परीक्षाओं में से एक है।)

इस परीक्षण के बाद आफताब के शारीरिक नतीजे कुछ ऐसे थे।

स्थानलक्षण
नाड़ी78/min
मूत्रसम्यक
मालाविबंध
जिहवासाम
शब्दप्राकृत
स्पर्शरुक्ष, खार
द्रुकप्राकृत
आकृतिमाध्यम
आफताब की अष्टविधा परीक्षा

आयुर्वेदिक उपचार

आफताब का आयुर्वेदिक उपचार शुरू किया गया, उनकी बाकी सभी दवाएं बंद कर दी गईं और यहाँ उनको दो तरह की चिकित्सा दी गई:

(1) विरेचन (शुद्धिकरण चिकित्सा)और (2) शमन चिकित्सा।

विरेचन (शुद्धिकरण चिकित्सा)

विरेचन प्रक्रिया में तीन चरण की चिकित्सा, आफ़ताब को दी गयी, जो इस प्रकार हैं:

पहला, पूर्व कर्म
अर्थात्‌ पूर्व प्रक्रिया
दूसरा, प्रधान कर्म
अर्थात्‌ वास्तविक प्रक्रिया
और तीसरा, पश्चात कर्म
अर्थात्‌ पोस्ट प्रक्रिया
इसमें शरीर के अंदर से सफाई की जाती है। रोगी की स्थिति के आधार पर, आयुर्वेदिक चिकित्सक इलाज तय करते है।आज के दिन के लिए मरीज को खाली पेट रहने को कहा गया। आफ़ताब की शुरुआत मालिश और हर्बल स्टीम बाथ से हुई।अब आफ़ताब को उम्मीद थी की वह अच्छे से पेट भरके भोजन करेंगे।
पाचन शक्ति को तीव्र करने की क्रिया (दीपन-पचन), स्नेहन (lubrication),अभ्यंग (मालिश) और स्वेदन (स्टीम बाथ) का मिश्रण है।उसके बाद उन्हें त्रिवृत लेहम 30 ग्राम और अवित्तिकर चूर्ण 10 ग्राम दिया गया।विरेचन के पूरा होने के बाद, तुरंत सामान्य आहार नहीं दिया जाता, क्योंकि अभी पाचन शक्ति कमजोर होती है।
पाचन शक्ति के लिए,
पंचकोल पाउडर 2 ग्राम दिया गया। यह भोजन के बाद 3 दिन तक गर्म पानी के साथ लेना था।
यह बहुत महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसमें Dr. Harsh को रोगी की अच्छे से निगरानी करनी थी और इसीलिए आफ़ताब की नाड़ी, ब्लड प्रेशर, स्वास लेने-की-दर और उनका तापमान लगातार दर्ज किया जा रहा था।इसके लिए विशेष आहार व्यवस्था का पालन किया जाता है, जिसे आयुर्वेदा में संसर्जन क्रम कहते है।
अगले 5-6 दिन तक आफ़ताब का स्नेहपानआयुर्वेद ममहातिक्तक घृतम, केरल आयुर्वेद फार्मेसी, के साथ किया गया।इस प्रक्रिया में रोगी का कई बार मल प्रवाह होता है, जिसमें से शरीर का कफ और विषाक्त पदार्थ भी निकल जाता है। भोजन में पतले चावल का दलिया दिया गया
उपचार के बाद आयुर्वेदिक चिकित्सक, रोगी में इन लक्षणो को प्राप्त कर लेते है। जैसे – ऑयली त्वचा, वसा युक्त मल का होना, घी के प्रति घृणा की भावना होना।शरीर अब साफ हो गया था और आफ़ताब को शरीर में हल्कापन महसूस होने लगा। आफ़ताब को आराम करने की सलाह दी गयी और अगले 3 दिनों के लिए विशेष आहार भी दिया गया।
आफताब को अगले 3 दिनों तक दशमूल काढ़े के साथ, निंब तेल से मालिश की गयी, और सर्वांग स्वेद द्वारा हर्बल स्टीम बाथ दिया गया।
इन सभी दिनों में हल्का और तरल गर्म आहार दिया जाता था।

शमन चिकित्सा

इस दौरान आमतौर पर दवाओं का उपयोग किया जाता है। नीचे दी गई तालिका है जो आफताब के चिकित्सा उपचार को दर्शाती है।

क्रमांकऔषधिखुराक
1आरोग्यवर्धिनी वटी500 मिली ग्राम भोजन के बाद दिन में दो बार पानी के साथ।
2गंधक रसायन500 मिली ग्राम भोजन के बाद दिन में दो बार पानी के साथ।
3पंचतिक्त घृत गुग्गुलु500 मिली ग्राम भोजन के बाद दिन में दो बार पानी के साथ।
4चोपचीनी चूरन2.5 ग्राम दिन में दो बार भोजन के बाद पानी के साथ।
पहले महीने के लिए खुराक
क्रमांकऔषधिखुराक
1आरोग्यवर्धिनी वटी500 मिली ग्राम भोजन के बाद दिन में दो बार पानी के साथ।
2सारिवादि वटी500 मिली ग्राम भोजन के बाद दिन में दो बार पानी के साथ।
3पंचतिक्त घृत गुग्गुलु500 मिली ग्राम भोजन के बाद दिन में दो बार पानी के साथ।
3खदिरारिष्ट30 मि.ली. भोजन के बाद दिन में दो बार, बराबर पानी के साथ।
दुसरे महीने के लिए खुराक
क्रमांकऔषधिखुराक
1गुडूची सत्व
रस माणिक्य
आमलकी रसायन चूर्ण
यशद भस्म
चोपचीनी चूरन
3 ग्राम
50 mg
3 ग्राम
250 mg
2 ग्राम
पानी के साथ।
2नीम टैबलेट500 मिली ग्राम भोजन के बाद दिन में दो बार पानी के साथ।
3पंचतिक्त घृत गुग्गुलु500 मिली ग्राम भोजन के बाद दिन में दो बार पानी के साथ।
तीसरे महीने के लिए खुराक

आयुर्वेदिक उपचार के सोरायसिस पर नतीजे

करीब 3-4 महीने तक, आफताब के, आयुर्वेदिक Dr. Harsh ने इलाज किया। उपचार के बाद, आफ़ताब को निचे दिए गए लक्षण सारे ख़तम होगये थे:

  • धब्बे जो सूखे और उभरे हुए थे
  • स्केलिंग
  • खुजली और जलन की अनुभूति
  • दर्द
  • त्वचा पर दरार।

इलाज पूरा होने के बाद, आफताब ने अपनी तस्वीरें साझा कीं और हमें बताया कि उन्हें अन्य उपचार से अस्थायी समाधान मिल रहा था, लेकिन आयुर्वेद से अपनी समस्या का इलाज करवाकर बहुत खुश थे।

Case study of Ayurvedic_Psoriasis Before and after treatment photos.

निष्कर्ष

आफताब के इलाज से, यह निष्कर्ष निकलता है कि पाल्मो-प्लांटर सोरायसिस (विपादिका ) को आयुर्वेदिक उपचार के माध्यम से सफलतापूर्वक मैनेज किया जा सकता है।

आयुर्वेदिक उपचार रोग के लक्षणों को दूर करने में मदद करता है और रोगी को सुरक्षित और प्रभावी उपचार प्रदान करने का प्रयास भी करता है। (Source)

हम Dr. Harsh Dhingra, M.D.(Ayu. Med.), Aayas Ayurvedic Hospital, के आभारी हैं, जिन्होंने आफताब का इलाज किया और सोरायसिस से पीड़ित लोगों की भलाई के लिए इस जानकारी को हमारे पाठकों के साथ साझा करने के लिए तैयार हुए।

जय हिन्द!

आपका बेटा, भाई, दोस्त –
Jasveer Singh

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6 thoughts on “23 वर्षीय पुरुष का आयुर्वेदिक उपचार – Psoriasis (Case Study)”

  1. जसवीर
    लेख लेखन मे शौध के नतीजे ,डाटा और मरीज का इलाज के उपरांत लिखा ,जिससे आयुर्वेद इलाज पर पढ़ने वाले या बीमार व्यक्ति हो उनका विश्वास बढेगा.
    हो सके तो ,अगले लेख मे ,NCR मे नामी आयुर्वेद इलाज सैंटर या आसपास के आयुर्वेदिक केंद्र के भी जानकारी साझा करे जिससे गुडगाँव की गरीब आबादी नजदीक ही अपना आयुर्वेद इलाज करवा सके
    आपके लेखन व्यवाहारिक और सुझाव आमंत्रित करता है सच्चाई पर आधारित भी है
    आप आगे से आगे और अच्छे लेख लिखते रहे शुभचिंतक की शुभकामनाएं

    प्रतिक्रिया
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