छोटी उम्र से बच्चों के लाइफस्टाइल में शामिल हो गया फोन? 5 simple tips Screen Time कम करें!

भारत ही नहीं पूरी दुनिया में टीवी, टेबलेट, लैपटॉप और मोबाइल पर घंटों ताकने वाले बच्चे देखे जा सकते हैं। इसको स्क्रीन टाइम कहा जाता है।
अगर आपका बच्चा बहुत छोटा है तो 1 -2 घंटे और जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, 2-3 घंटे सही स्क्रीन टाइम है।

हम बात करेंगे, उन बच्चो की जिनका स्क्रीन टाइम बहुत ज्यादा है, यहां साझा किए गए सभी टिप्स आपके बच्चों के लिए बहुत मददगार होंगे।

बच्चे कैसे आदी हो जाते हैं?

बच्चों को बहुत ही छोटी उम्र में फोन देदिया जाता है। जाने-अनजाने, ज्यादातर मामलों में यह देखा जाता है कि “माता-पिता” ही अपराधी होते हैं।

  • कुछ बच्चों को उनके माता-पिता संभालने का वक्त नहीं होने के कारण फोन, टीवी या कम्प्यूटर पकड़ाने का आसान तरीका निकाल लेते हैं। 
  • कुछ माता-पिता फोन देते हैं, बच्चो को नर्सरी राइम और कविताएँ सिखाने के लिए।
  • जब कोई बच्चा ठीक से खाना नहीं खाता या अपना होमवर्क नहीं करता है तो माता-पिता फोन देते हैं।
  • कुछ माता-पिता अपने बच्चों का मनोरंजन के लिए फोन देते हैं।
  • कुछ माता-पिता अपने बच्चों को फोन इसलिए देते हैं क्योंकि अन्य माता-पिता ऐसा कर रहे हैं

दुर्भाग्य से यह आसान तरीका बच्चों की आगे की जिंदगी को शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत बड़ी मुश्किल में डाल देता है।

हाल ही में अमेरिकी बच्चों पर किए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक, बच्चे औसतन दिन में 3 घंटे का वक्त टीवी देखने में गुजार रहे हैं। इसमें मोबाइल, लैपटॉप, टेबलेट के वक्त को मिला लिया जाए तो यह स्क्रीन टाइम 5 से 7 घंटे तक पहुंच जाता है।

स्क्रीन पर बहुत ज्यादा वक्त के दुष्प्रभाव

Children Screen Time कम करें_ Phone
  • यदि 2 साल से पहले टीवी/फोन बच्चो को दिखाते है, तो आपके बच्चे की वास्तविक दुनिया के बारे में, बहुत ख़राब छवि हो सकती है। Animated characters को देखने की आदत हो जाए तो, उन्हें वास्तविक लोगों से जुड़ने में समस्याएँ भी हो सकती हैं।
    वास्तविक जीवन में आपका बच्चा भ्रमित और अनिश्चित रहेगा।
  • स्कूल में ब्लैकबोर्ड साफ न दिखने की शिकायत अब नई बात नहीं बची है।
    जो बच्चे अपने माता-पिता को नहीं बता पाते हैं, वे कई बार इस वजह से ही पढ़ाई में पिछड़ने लगते हैं।
  • अधिकांश विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं, कि टीवी के अधिक शोर से बच्चे के “बोलने” की क्षमता घट सकती है। यह तोतला पन और कई भाषण विकार का कारण बन सकता है। (1) (2)

स्क्रीन टाइम कम करने के 5 तरीके

1. अपने बच्चों के स्क्रीन टाइमिंग का समय फिक्स करें।

श्रीधर माहेश्वरी, मनोवैज्ञानिक, कहते हैं- कि शुरुवाती दिनों में ही बच्चो के साथ एक स्पष्ट स्क्रीन टाइम का नियम निर्धारित करे।

एक घंटा या आधा घंटा या डेड – दो घंटा यह आप तह करे और अपने बच्चो को बता दे।

Children Screen Time कम करें_TV

2. कम से कम संभावित नुकसान के साथ, पूरे अधिकार के साथ स्क्रीन टाइमिंग का पालन करें।

एक बार जब स्क्रीन टाइमिंग तय हो जाये और बच्चों को बता दिया जाये, तो यह महत्वपूर्ण है कि माता-पिता इसका पालन करें।

आपको चिल्लाने की जरूरत नहीं है, आप उन्हें सूचित कर सकते हैं कि समय समाप्त हो गया है, और इसलिए आप अब टीवी/फ़ोन बंद कर रहे हैं।
शुरू में बच्चे आप पर भड़केंगे, खूब रोओगे। परन्तु आप उन्हें बिना मारे, डाटे नियम को मजबूती से करे। धीरे-धीरे यह मदद करेगा।

  • यह कभी ना सोचे की आज Sunday या छुट्टी है, तो बच्चो को ज्यादा देर टीवी/फ़ोन देखने दे।
  • अधिकांश माता-पिता कहते हैं कि “वहां बच्चों को जिम्मेदार होना चाहिए और उन्हें टीवी / फोन को खुद ही बंद कर देना चाहिए”।
    बच्चे बंद करते नहीं, और माता-पिता उनको प्यार से समझाते रहते है – की “बंद करदो बेटा, बंद करदो ” और इसमें एक-आध घंटा टीवी/फ़ोन ओर देख लेते है।
    यहाँ स्थिति चिंताजनक है, जितना अधिक वह देखेंगे उतना ही टीवी/फ़ोन में घसीटे/प्रभावित/आकर्षित होते रहेंगे। इससे स्क्रीन टाइम ही बढ़ेगा।

कृपया निर्धारित स्क्रीन टाइम के बाद टीवी/फ़ोन बंद करदे। यह दिनचर्या का हिस्सा होना चाहिए

3. ना ज्यादा प्यार और ना ही ग़ुस्से में, अपने बच्चो से स्क्रीन टाइम की बाते करना सीखे।

आपने एक नियम बनाया है, और अब आप उसका पालन कर रहे हैं।
लेकिन आपका बच्चा नहीं जानता क्यों?

इसलिए कृपया चीजों को स्पष्ट तरीके से अपने बच्चो को समझाये।
ना ज्यादा प्यार और ना ही ग़ुस्से में, यह कला आपको आनी चाइए।

आपको उन्हें फोन-ज्यादा इस्तेमाल करने, के नुकसान के बारे में बताये। जैसे अस्वस्थ आंखें, मोटापा, बीमारिया, वास्तविक लोगों और वास्तविक चीजों से जुड़ना जरुरी है आदि।

4. घर में स्पोर्ट्स स्टार की फोटो लगाएं।

बच्चे के बेडरूम से टीवी या कम्प्यूटर हटा दें, और स्पोर्ट्स स्टार की फोटो लगाए।
हमारा सुझाव है की कम उम्र में ही आप अपने बच्चे को खेलों से परिचित कर दे।

आप अपने घर में बच्चो के साथ ऐसे स्पोर्ट्स स्टार की फोटो लगाए, जिस खेल में बच्चो को डालना हो, जैसे सचिन तेंदुलकर क्रिकेट, सान्या मिर्ज़ा टेनिस, नीरज चोपड़ा जविलियन थ्रो आदि।
वह आपसे उन पर तरह-तरह के सवाल पूछेंगे। आप उन्हें कहानियों में जवाब दे सकते हैं, और उन्हें उस खेल के कुछ वीडियो भी दिखा सकते हैं।

इससे ऐसे उपयोगी वीडियो को उनके स्क्रीन टाइम में देखने में भी मदद मिलेगी।

इस से बच्चों में खेल के प्रति उत्सुकता बढ़ाई जा सकती है।

5. अपने बच्चों के लिए एक उदाहरण बनें।

माता-पिता के रूप में हम सभी अपने बच्चों के सुपर हीरो बनना चाहते हैं। इसे साबित करने के लिए हम बच्चो के सामने बस अपनी तारीफ ही करते रहते हैं।

“हम जब छोटे तो पढ़ाई में पहले आते थे”,
“हम स्कूल में सबसे अच्छा फुटबॉल खेलते थे”
“हम सब से अच्छा गाना गाते थे”
“हमने इतनी मेहनत करी”
“हमारे पास इतनी सुख -सुविधा नहीं थी जितनी तुम लोगो के पास है..”
वगेरा वगेरा ……

है ना ?

कहा जाता है कि बच्चे देखने से ज्यादा-सीखते हैं, और सुनने से कम।

आपके बच्चे का स्वस्थ भविष्य आपके हाथ में है। आपको उनके सामने खुद आदर्श व्यवहार करना होगा, ताकि स्क्रीन टाइम को सीमित कर शारीरिक गतिविधियों में इजाफा आसान विकल्प होगा।

अपनी फ़ोन और टीवी देखने को केवल एक निश्चित सीमा तक सीमित रखे। अधिक मत देखे।
अपने प्रति ईमानदार रहें, आपका बच्चा निश्चित रूप से देर-सबेर इसका पालन करेगा।
सुनिश्चित करें कि आप उनके साथ कुछ खेल खेलें।

क्या कहता है WHO

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अगली पीढ़ी पर आए  संकट को भांपते हुए कुछ दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

इसके मुताबिक बच्चों को दो वर्ष तक की उम्र तक किसी भी तरह की स्क्रीन का सामना करने से टाला जाए।
2 से 5 वर्ष तक के बच्चों को भी दिन में ज्यादा से ज्यादा एक घंटे ही स्क्रीन टाइम दिया जाए।
उन्हें खेलने-कूदने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।

सवाल केवल यही है कि बेहद व्यस्त होने का रोना हरदम रोने वाले माता पिता, WHO के इस बेहद महत्वपूर्ण सुझाव को कितनी गंभीरता से लेते हैं।
एक सही फैसला उस बच्चे का बचपन, यौवन और पूरी जिंदगी को ही नई जिंदगी दे जाएगा। 

खेल-खेल में सारे बच्चे,
सेहत खूब बनाते।
उछल कूद कर मस्ती करते,
जीवन का सुख पाते।
यह आनंद बिना पैसे का,
हम खेलों से पाते।

जय हिन्द!
हर्ष चतुर्वेदी

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4 thoughts on “छोटी उम्र से बच्चों के लाइफस्टाइल में शामिल हो गया फोन? 5 simple tips Screen Time कम करें!”

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