आज हमारा देश संकट का सामना कर रहा है (Corona Pandemic)।
हमें लगता है कि इसका कारण हमारी सरकार, या कोई देश, या हमारा पीएम, सीएम या कोई ओर है?
यह सोचकर, संभावित चिल्ला कर, हम दुसरो को बेवकूफ बना सकते है, सत्यता को नहीं।
कटुता से कहूंगा – इस आपदा का कारण केवल “हम” है।
“हम किस तरह के इंसान हैं?” – इसका जवाब और समाधान – हमारे लिए, हमारे समाज और राष्ट्र के लिए, आने वाले दिन तय करेंगे।
जब सोचने बैठा तो आँखों से आंसू और इंसानियत को शर्मसार करने वाले उदाहरण सामने आ गए।
इस कोरोना काल (Corona Pandemic) में, हमारे मुँह पे पोथा हुआ नकली मुखौटा, दोगला अपना-पन, दूसरों के लिए नकली सोच, दिन में हज़ार बार राम-राम या अल्लाह-हु-अकबर बोलने वाले के पीछे का मतलबी, लोभी और स्वार्थी पन साफ़ साफ़ हमारे सामने है।
करनी थी आपदा से लड़ाई, और करने लगे आपदा में कमाई
- क्या ये हम नहीं ? COVID के सकारात्मक परीक्षण के बाद कानपुर में बेटों द्वारा माँ को घर से बाहर निकाल दिया गया, बाद में उनकी मृत्यु हो गई |
- क्या ये हम नहीं ? जो hospital beds, Oxygen cylinders, दवाइयों की कालाबाज़ारी कर रहे है ?
- क्या ये हम नहीं ? जिन्होंने दम तोड़ते मरीजों की दुर्दशा देखते ही 800 रुपए वाले remdesivir इंजेक्शन को, 1 लाख में बेच डाला ?
- यह कम था इसीलिए फिर हमने इंजेक्शन में पानी या पैरासिटामोल मिलाकर बेचदिया।
- क्या ये हम नहीं ? जो मरीज को गुडगाँव, दिल्ली, गाजियाबाद, मेरठ, नोएडा स्थित किसी हॉस्पिटल में पहुंचाने की बात करते हैं तो ambulance का किराया 10 से 15 हजार हो जाता है। (1)
- क्या ये हम नहीं ? यह जो 700- 800 का ऑक्सीमीटर 2000+ में बेच रहे हैं। (1)
- नारियल पानी हो फल, सब्जी, दाल में लूट से लेकर हॉस्पिटल में bed दिलाने तक का झांसा यह सब लोग जिन्होंने लूट मचा रखी है, क्या ये हम नहीं ? (1)
- कह दो की जो यह शादियाँ हो रही हैं यह भी हम नहीं है? हमें सरकार के हो रहे election से दिक्कत है, पर अपनी या अपने रिश्तेदारों की शादियाँ या birthday parties जायज़ लगती है।
- मरने के बाद भी हमने लोगो की चिता से अपने घर की रोटियां सेकी हैं (1)
- यह जो श्मशान की लकड़ियों में बेईमानी कर रहे
- जो गरीब है या जो लावारिस है, उनकी मदद के लिए हम कितने आगे आये है ? हाँ, हमदर्दी पूरी दिखाई है social media पर।
मेरे सामने वृद्ध आश्रम के 80 वर्षीय बुजुर्ग की मौत हो गयी, मरने से पहले ही शायद वो मौत देख चुके थे, यही कारण था आखरी दिनों में उन्होंने हौसला खो दिया था। उनको कोरोना negative था, उनके बेटे ने उनको देखने और उनका दाह-संस्कार करने से इंकार कर दिया। हो सकता है बेटा social मीडिया से दूसरों की मदद कर रहा हो ….. क्यों क्या ये हम नहीं?
सही कहा है किसी ने:
“हमारे भारत को आज कोरोना नहीं मार रहा..!!
….
हम मार रहे है- खुद को भी और इंसानियत को भी। 🙁
या हम ऐसे इंसान है!
इस समय हमारी देश की अर्थव्यवस्था गिर जाएगी, 5-10 वर्ष पीछे जा सकते हैं। इससे हम सभी को दुख होगा, पर कोई नहीं, ठीक है! क्योंकि उस 5-10 वर्ष समय कुछ भी गलत नहीं था सब ठीक था।
अगर आप मेरा ये ब्लॉग पढ़ रहे है – तो महत्वपूर्ण बात यह है – की आप-हम जीवित हैं।
हम जीवन का सही सदुपयोग करके, इस आपदा (Corona Pandemic) का सामना कर सकते हैं। तो आपको यह करने से कौन रोकता है ?
- हम ऐसे इंसान है ! खुद की परवा ना करते हुए, एक 85 वर्षीय COVID ने युवा मरीज के लिए अस्पताल का बिस्तर छोड़ दिया, उनकी मृत्यु हुई, पर हमारे बिच एक ऐसी चिंगारी को जीवित करगए, जो कोरोना के तूफ़ान में बूझती दिखाई दे रही थी। (1)
- हम ऐसे इंसान है ! Nashik के एक किसान दत्ता राम पाटिल, ने अपनी 3 एकड़ ज़मीन में से गेंहू की फसल, जरुरत मंद को दान दि। वह खुद एक गरीब किसान है लेकिन उनकी वित्तीय स्थिति ने उन्हें दूसरों की मदद करने से नहीं रोका है। (1)
- हम ऐसे इंसान है !12 वीं कक्षा की छात्रा, मरीजों को बिस्तर, ऑक्सीजन सिलेंडर और भोजन उपलब्ध कराने में मदद करती है। वह खुद इन सब की पुष्टि करके, फिर ही जानकारी मरीजों तक पहुँचती है। अपनी पढ़ाई के साथ साथ, वह मरीजों के लिए online जानकारी मुहैया कराती है।(1)
- हम ऐसे इंसान है ! हैदराबाद में, मुरली – UP और Bihar के प्रवासी को भोजन प्रदान करके मदद कर रहे है। यह प्रवासी यहाँ मजदूरी-मेहनत करके पेट भर रहे थे, परन्तु lockdown में इनके पास कोई काम नहीं, खाने को भोजन नहीं था। जब मुरली पहली बार उनके पास भोजन लेकर पहुंचा, तो इनके आंसु, मानो मुरली जैसे लोगो को सुक्रिया कर रहे हो। (1)
- हम ऐसे इंसान है ! Kerala के Dr. शिफा मोहम्मद ने अपनी शादी को स्थगित करने का फैसला किया और जीवन के लिए संघर्ष कर रहे अपने सीओवीआईडी -19 पीड़ित मरीजों का इलाज करने के लिए चुना। उन्होंने कहा – “शादी इंतजार कर सकती है, लेकिन मेरे मरीज नहीं” (1)
ऐसी स्थिति में क्या करे ?
स्थिति गंभीर है (Corona Pandemic), हम हर दिन नए रिकॉर्ड को छूने वाले मामलों की संख्या को देखते हैं, … इसलिए स्थिति गंभीर है ..
लेकिन हमे गंभीर नहीं बनना है, बस जिम्मेदार (responsible), हर्षित (joyful), समझदार (sensible) होना है।
जब हम निडर (fearless), जिम्मेदार (responsible), हर्षित (joyful), समझदार (sensible) होते है – तब हम हालातों को बखूबी संभाल सकते है, ना की – डर के, या गंभीर बनके।
डर से हम सिर्फ घबराए-घबराए घूमते है और हमारे दिमाग, शरीर – में जैसे लकवा मार गया हो, वाली हालत हो जाती है। ऐसी हालात में यह मुमकिन ही नहीं की आप कोई भी प्रस्थिति संभाल पाओ।
हमें यह सुनिश्चित करना है:
- कोरोनाकाल में प्राणायाम ‘संजीवनी’ से कम नहीं हर रोज़ सुबह सवेरे योग और प्राणायाम करे और फेफड़े स्वस्थ रखे।
- आशावादी रहें और सकारात्मक मानसिकता रखें।आप जब भी social media, whatsapp status पर कुछ शेयर करे तो सकारात्मक खबर या प्रेरक बाते ही करे। (1)
- ईमानदारी और दिल में दूसरो के लिए सहानभूति और प्रेम रखे।
- ध्यान रहे: अगर आपको Covid हुआ है और आप पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं – तो अपना plasma जरूर donate करे।
- शारीरिक दूरी बनाए रखें, और समस्या का “कारण” नहीं बने।
- खुद तो कोरोना वैक्सीन का टीका लगवाएं ही, साथ में किसी गरीब या जरुरत मंद को भी (पहले) लगवाएं।
- अगर आप बीमार हैं तो घर पर रहें।
- हालांकि आपकी नौकरी या अपनी पढ़ाई के लिए समर्पित होना सराहनीय है, अगर आप बीमार हैं तो काम या स्कूल में जाना अच्छा नहीं है।
- हो सके, तो अपनी शादी को आगे के लिए टाल दें, जीवित रहे तो reception ग्रैंड कर सकते हो। 🙂
- बेजुबान जानवरो के बारे में भी सोचे जो आपके घरो के पास होते है, उनके लिए भी तीनो वक़्त का खाना रखे, घर के बाहर पानी रखे। पँछियों के लिए दाना-पानी; कुत्तो को रोटी, चावल और जो भी जानवर दिखे उनको जरूर कुछ खिलाये। ऐसे वक़्त में उनकी मृत्यु की दर भी बढ़ गयी है।
जब हम संकट में हो, (या) जब किसी संकट की शुरुआत हो, (या) एक संभावित संकट ही क्यों ना हो (Corona Pandemic) – ऐसे समय में तय होता है कि- हम किस तरह के इंसान हैं!
हालाँकि यह हर समय मायने रखता है, लेकिन संकट के समय में, मूल्यवान चीज यह है कि “हम किस तरह के इंसान हैं?”
आइए दोस्तों, इस सन्देश को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुचाने का काम करे और समाज हित, में अपने जीवित होने का हक़ अदा करे।
जय हिन्द!
आपका बेटा, भाई, दोस्त –
जसवीर सिंह
Absolutely true..
It’s the high time to know what kind of a person are we?
Received positive vibes through this post I am sure this blog would have shaken many of us from inside. Thanks for the wonderful post and definitely support the needy during this pandemic situation.
Very truly narrated the truth of present situation in society and mentality of the people.
Dual face of the people in India is reality , not only during this pandemic but it was earlier also and that is the reason why this country was ruled by Invaders , earlier by Mughals and lateral by Britishers inspite of this fact that this country has rich resources be it natural resources or rich human resources with ancient rich tradition and our Culture.
Unfortunately , we feel happy when other day something with the same meaning while it was told by our Rishis in ancient times.
This is right time to have self confidence and belief in our rich cultural traditions which are based on scientifically proved experiments. Keep doing yog every day without fail and the same should be taught to young children to develop habit as part of their routine in their lives.
Stay safe and healthy. Develop humanness and serve the mankind.
Dr G P Pandey
Deep Study and Thought Jasveer. Insaan hi insaan ka dushman hai during Corona. If everyone understood their moral responsibility then definitely we will win.
Thanks to ignite the youth for the same.
Keep it up..
Jai hind.
बहुत प्रसंशनीय प्रयास।
हमरा महामारी की आपदा को एक अवसर बनाने प्रयास कितनी सोच हो सकती है?
आपने बहुत सटिक व सुंदरता से नकारत्मक व अमानवीय पहलू व सकारत्मक उदहारण प्रस्तूत कर इस महामारी का सामना करने की प्रेरणा प्रदान करता लेख साझा किया है।
धन्यवाद।
Bahut achha. Sahi kaha.hei. we must help of needful persons etc.
Loud and clear message with voice of sanity by Jasveer
एक जरुरतमंदों के लिए आपके अंदर की इंसानियत को जागरूक करता है कि
क्या हम विश्व गुरु देश के नागरिक हैं और
अपील करता है जो झकोर दे रही है
मकसद मानवता इंसानियत वापस लोटेगी
सांसों की सौदेबाजी बन्द हो
और
इस समय ब्लेक मार्केटिंग करने वालो से ज्यादा उसका परिवार इस अमानवीय कृत्य की कमाई पत्नी माता पिता कैसे घर में ले रहे हैं
इंसानियत कैसे मर गई इन परिवारों के बच्चों और सदस्यों की जो इस अपवित्र कमाई से मौज मस्ती करेंगे
आध्यात्मिक या सत्संग की भाषा समझते हों तो
कोरोना मरीजो से बेइमानी की कमाई , बच्चे पत्नी मां बाप कैसे स्वीकार कर रहे हैं?
बुरे कर्मों में भागीदारी क्यों रहे हैं ?
लेखक का इशारा सही है कि
कर्मों के फल से डरो
इंसानियत मानवता रखते हो तो परिवार के सदस्य, गृहणी मां पिता आप –
क्यों नहीं प्रशासन पुलिस को शिकायत करते कि हमारे परिवार में गैर मानवीयता तरीके अपना कर , बेइमानी भ्रष्ट तरीकों से कोरोना मरीजों से रूपए कमा कर, लाए जा रहे हैं
सरकार की supply chain को तोड़ने के लिए ये परिवार जिम्मेदार हैं जो इस समय भी कमाई ब्लेकमेलर हैं
कारण अनेक हो पर एक यह भी हो सकता है
We as a Nation lack character and honesty
– Failure of authority to fix accountability ,why they owns responsibility
इस युवा की वाजिब सोच और चिंता है कि शिक्षा के साथ साथ
गिद्ध दृष्टि कोण कैसे बढता जा रहा है
लालच बहुत बुरी बला है
श्मशान से कफ़न चोरी की घटनाएं हो रही हैं ये कुछ मुट्ठी भर परिवार हैं
आप जसवीर जैसे बनो जो बहुसंख्यक वर्ग है समाज सेवा उद्देश्य रखो
गुरुद्वारों सिख संगठनो से सीखो इंसानियत को जिंदा रखने के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं
*Keep such spirt alive* your direct -indirect awareness among youth will bring positiveness and feeling of humanity which will contributes a lot which is need of hour during this pandemic
👍👍
Thank you for those words & sharing your experience Sir!