प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) को समझें – हमारे शरीर का सेना मॉडल!
Table of Contents
समझदार व्यक्ति की पहचान ?
जब आप नई गाड़ी खरीदते है, क्या आप यह जानकारी नहीं रखते, की गाड़ी कैसे काम करती है ?
अपने बच्चों के स्कूलों या कॉलेजों में एडमिशन से पहले और बाद में, क्या आप उस संस्था के पढ़ाने के तौर-तरीके, शिक्षकों और अन्य विभिन्न बातों को नहीं समझते?
हर वह काम, जो हमसे जुड़ा है, उसे हम बखूबी समझते या समझने की कोशिश करते है – जो एक समझदार व्यक्ति की पहचान भी है।
परन्तु जब हमारे शरीर को स्वस्थ रखने की बात आती है तो, हम उसे नज़र अंदाज़ क्यों करते है ?
अपने शरीर को – डॉक्टरों और स्वास्थ्य बीमा को सौंपने के अलावा, अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) को समझने की कोशिश क्यों नहीं करते ?
“जीवन” बिना इम्यून सिस्टम ?
एक अध्यन के अनुसार, हमारे पूरे जीवन काल में हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली (Immunity system) – हमें अनुमानित 300-500 सर्दी या ख़ासी, और असंख्य अन्य संभावित संक्रमणों से लड़ने में मदद करती है।
रोचक बात यह है की “बिना इम्युनिटी के हमारा शरीर 1 मिनट से ज्यादा जीवित नहीं रह सकता।”
दोस्तों, इसमें कोई दोहराह नहीं की हमारा सबसे अच्छा दोस्त कोई और नहीं बल्कि हमारा “इम्यून सिस्टम” है।
अगर हमें अपने सिस्टम को अक्षुण्ण/स्वस्थ रखना है, तो हमें इसे जरूर समझना चाहिए!
क्या है इम्यून सिस्टम?
- जब भी मच्छर काटते है, आपने देखा होगा – हमें लाल, मोटे धब्बे और खुजली शुरू हो जाती है।
- जब भी हमें बुखार होता है तो हमारे शरीर का तापमान बढ़ जाता है।
यह संकेत हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune system) के सक्रिये होने का है। यह संक्रमण, बीमारी और रोगो के खिलाफ – हमारे शरीर की रक्षा तंत्र का संकेत है।
“मानव शरीर – एक तरीके की “बातचीत” है – जो कोशिकाओं (cells)के भीतर और कोशिकाओं के बीच चल रही है”
Danny hillis
बीमारियों से कैसे बचाता है -इम्यून सिस्टम?
मेरे भाई बहन, जो चिकित्सा विज्ञान से जुड़े नहीं हैं, उनको आसानी से समझाने के लिए, मैंने इस ब्लॉग में हमारे इम्यून सिस्टम (immune system) को, लोंगेवाला का युद्ध के साथ जोड़कर समझाने की कोशिश की है।
लोंगेवाला की लड़ाई – संरक्षण मॉडल
हम सभी को “लोंगेवाला का युद्ध” याद है, है ना?
JP Dutta द्वारा निर्देशित फिल्म बॉर्डर (Border Movie), लोंगेवाला लड़ाई (4 से 7 दिसंबर 1971) की वास्तविक घटनाओं का एक रूपांतरण है।
इस युद्ध में भारतीय सेना ने केवल 120 सैनिकों के साथ, पाकिस्तानीयो के 2000-3000 सैनिकों और 30 -40 टैंकों, की एक बहुत मजबूत सेना को परास्त किया।
इसे दूसरे विश्व युद्ध के बाद, किसी भी देश की, सबसे बड़ी हार माना जाता है।
इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना को हराने के लिए, निम्न “भारतीय सेना” ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई:
- बीएसएफ (BSF)
- थल सेना (Army)
- मिलिट्री इंटेलिजेंस (Military Intelligence)
- वायु सेना (Indian Airforce) और
- मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी जी
बीएसएफ (BSF)
बीएसएफ (BSF) लगातार हमारी सीमा की सुरक्षा करती है। और हर छोटे-बड़े दुश्मन से लड़कर हमारे देश की रक्षा करते है।
लोंगेवाला युद्ध में पाकिस्तान को हराने में, BSF की युद्ध कला, घेराबंदी और इलाके की समझ बहुत कारगर सिद्ध हुई।पाकिस्तानी सेना को इलाके की कोई जानकारी नहीं थी और नरम रेत में वाहनों और टैंक के फंसने से वह कमजोर पड़ गए थे।
भारतीय थल सेना (Army)
वही युद्ध में आगे से मोर्चा सँभालने वाली, भारतीय सेना (Army) की भूमिका अहम् रही।
युद्ध से पहले जीतोड़ अभ्यास, निडर और मजबूत इरादे – हमेशा से ही इनकी ताकत रही।
“जितना अधिक आप अभ्यास करते है,
युद्ध में उतना ही कम नुकशान होता है।”
लोंगेवाला युद्ध में, मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी जी, ने पहले अपनी पेट्रोलिंग पार्टी से दुश्मन के बल-ख़म का आकलन किया।
फिर हमला होने पर अपनी बटालियन के साथ – निडर, बिना दुश्मन से घबराये उनसे लड़े।
मात्र 120 फौजियों की उनकी टुकड़ी ने, करीबन तीन हज़ार दुश्मनो को ना सिर्फ रोके रखा, पर उन्हें उधेड़ कर रख दिया।
मिलिट्री इंटेलिजेंस (Military Intelligence)
मिलिट्री इंटेलिजेंस की मदद से भारतीय सेना, यह समझने में सक्षम थी कि दुश्मन को हराने के लिए कौन सा हथियार घातक और सक्षम होगा।
क्योकि पाकिस्तान सेना इस युद्ध में अपने साथ 30 -40 टैंको के साथ युद्ध कर रही थी, इसीलिए वह शुरुवात में मजबूत थी। परन्तु हमारी मिलिट्री इंटेलिजेंस यह भाप चुकी थी, इसीलिए उन्होंने दुश्मन का मुकाबला करने के लिए पास के वायु सेना (IAF) टीम से संपर्क किया।
वायु सेना (Indian Airforce)
हमारे वायु सेना (IAF), ने पाकिस्तानी सेना पर हवाई हमला करदिया, जिसमें दुश्मन को भारी नुकसान उठाना पड़ा और उनके अधिकांश टैंक नष्ट कर दिये गए। यह युद्ध और दुश्मन को उखाड़ फेंकने के क्षणों को परिभाषित करने वाला साबित हुआ।
अब तक, पाकिस्तानी सेना के, जो सैनिक बचे थे – उनका हौसला टूट चूका था और वह पीछे हटने के लिए मजबूर हो गये थे।
युद्ध खत्म हो गया था और बिना किसी नुक्सान के दुश्मन को हरा दिया गया था।
मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी
इस पूरे युद्ध को संचालित किया मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी जी ने और बखूबी अपना कर्तव्य निभाया।
उनका जोश, साहस और पराक्रम अतुलनीय था, खुद भी प्रोत्साहित रहे और अपने जवानो को भी प्रोत्साहित रखा।
उनके निडर, रवैये और मजबूत कमान ने भारत के लिए ना सिर्फ युद्ध जीता, परन्तु कई मायनों में हम सभी के लिए एक मिसाल भी कायम की है।
हमारे शरीर का सेना मॉडल – इम्यून सिस्टम
हमारा इम्यून सिस्टम बिल्कुल हमारे आर्मी मॉडल की तरह काम करता है। आइए देखते है।
हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune system)
- कोशिकाओं (cells) से बनी होती है, जिसे “प्रतिरक्षा कोशिका” (Immune cells) कहा जाता है।
- और थोड़े-बहुत प्रोटीनों से बनी होती है।
- कोशिकाएं ,एक घर की ईंटों की तरह होती हैं – इसलिए हमारे शरीर में हर जगह कोशिका होती है – त्वचा, रक्त, हड्डियों आदि में…
हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली के भीतर, मूल रूप से – निमिनलिखित 2 प्रकार की कोशिकाओं का समुदाय होता है:
“बिना रुके”, काम करने वाली कोशिकाएं : | “विशेष”, काम करने वाली कोशिकाएं: |
नैचुरल किलर (Natural Killer Cells) | टी – कोशिकाएं (T-Cells) |
मैक्रोफेज (MΦ) (Macrophage Cells) | बी – कोशिकाएं (B-Cells) |
नैचुरल किलर (Natural Killer Cells)
जैसे सीमा पर हमारे सैनिक (BSF), लगातार काम करते हैं और बिना छुट्टी/ब्रेक के हमारी सीमा की रक्षा करते हैं। वैसे ही –
यह कोशिकाएं बिना रुके लगातार हमारे शरीरी में काम करती है। और जैसे ही कोई इन्फेक्शन, वायरस अथवा बीमारी का घात होता है, जो शरीर के लिए हानिकारक हो सकती है, उसे तुरंत नष्ट कर देते है।
मैक्रोफेज (MΦ) (Macrophage Cells)
यह हमारी आर्मी के जैसे काम करती है- दुश्मन को मारते तो हैं ही, साथ में मिलिट्री इंटेलिजेंस को इस दुश्मन की खबर भी मुहैया कराती है।
यह कोशिकाएं भी नैचुरल किलर की तरह काम करती है, लेकिन वह ना सिर्फ इन्फेक्शन, वायरस अथवा बीमारी का घात होते ही उन्हें मरती है, बल्कि ऐसे बाहरी चीज़े जो हमारे शरीर के लिए खतरा हो सकती है उनकी पहचान / वर्गीकरण भी करती हैं और इस जानकारी को उन कोशिकाएं के साथ साझा करती हैं, जो”विशेष“, काम करने वाली कोशिकाएं है।
टी – कोशिकाएं (T-Cells)
यह हमारे शरीर में मिलिट्री इंटेलिजेंस (Military Intelligence) के जैसे काम करता है।
टी सेल कोशिकाएं, दुश्मन की सभी जानकारी रखने का पहला और महत्वपूर्ण केंद्र है। वे मैक्रोफेज कोशिकाओं से हमारे शरीर पर दुश्मनो के आक्रमण के बारे में जानकारी एकत्र करते हैं, और फिर बी-कोशिकाओं को संकेत और सतर्क करते हैं।
बी – कोशिकाएं (B-Cells)
लोंगेवाला युद्ध में, हमारी वायु सेना का मुख्य रूप से, एक विशेष कार्य था – दुश्मन के टैंकों को नष्ट करने का। ठीक उसी प्रकार हमारे शरीर में बी-कोशिकाएं दुश्मन को नष्ट करने के लिए, विशेष कार्य करती हैं।
यह कोशिकाएं विशेष रूप से विशेष बैक्टीरिया / वायरस पर काम करती हैं और इस “विशेष” बैक्टीरिया के लिए एंटीबॉडी (Antibodies) का निर्माण करती हैं।
उदाहरण: कोरोना या ब्लैक फंगस – एक वायरस है, जिसके लिए हमारी बी-कोशिकाएं एंटीबॉडी बनाती हैं और उन्हें मार देती हैं।
एंटीबॉडीज़ (Antibodies)
हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune system) मुख्य रूप से “एंटीबॉडीज़” बनाने के लिए जिम्मेदार होती है। यह एंटीबॉडीज किसी खास इंफेक्शन, वायरस या बीमारी के लिए विशेष रूप से काम करती और उन्हें नष्ट करती हैं।
उदाहरण के लिए, जब भी कोरोना से संक्रमित व्यक्ति ठीक होता है तो, उसके शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली “एंटीबॉडीज़ बना चुकी होती है।
जब यह वायरस इस व्यक्ति को वापिस संक्रमित करता है, तो एंटीबॉडीज़ उसे भाप लेती है और फिर शरीर बीमार नहीं पड़ता (या फिर) जल्दी ठीक हो जाता है।
Question 1: अगर "नेचुरल किलर" कोशिकाएं पहले से ही इन वायरस/बैक्टीरिया/इन्फेक्शन को मार रही हैं, तो हमारा शरीर "एनिटबॉडीज़" क्यों बनता है? Answer 1: "नेचुरल किलर" कोशिकाएं छोटे वायरस/बैक्टीरिया को मारने में मदद करती हैं। परन्तु जब कई वायरस बड़ी संख्या में बढ़ रहे हैं, और नियंत्रित नहीं हो रहे, तो ऐसी बड़ी लड़ाई हमारे "एंटीबॉडीज़" द्वारा लड़ी जाती है। यह एंटीबॉडी, फिर पूरी ताकत से केवल इस बैक्टीरिया से लड़ेंगे और शरीर से उनका नामो-निशान मिटा देंगे। Question 2: इस एंटीबॉडीज़ को बनाने के लिए, हमारे शरीर को किस चुनौती का सामना करना पड़ता है? Answer2: चुनौती "एंटीबॉडी बनाने का समय" है। इस अवधि के दौरान, हमारा शरीर प्रभावित या घायल या बीमारी से पीड़ित हो रखा है, और यह बैक्टीरिया / वायरस / इन्फेक्शन - हमारे सिस्टम को मार रहा होता है। यह वह समय है जब हम दवाई खाते है, ताकि हमारे शरीर को वायरस से लड़ने में मदद मिलती रहे। इस चुनौती का सामना शरीर अच्छे से कर सके, इसके लिए हमे, हमारा "मेजर कुलदीप सिंह" का पता होना जरुरी है।
हमारा “मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी” कौन?
हमारी इम्यून सिस्टम के, मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी – हम खुद ही है।
क्योंकि एलोपैथी में, ऐसी कोई भी दवा निर्मित या खोजी “नहीं” गई है, जो आपके इम्यून सिस्टम (immune system) को बूस्ट कर सके।
आदर्श रूप से हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) एक शुद्ध प्राकृतिक प्रक्रिया है (natural process), जो निम्न चीज़ो, द्वारा निर्मित (built by) और अनुरक्षित हैं (maintained by):
- हमारी जीवन शैली (1) (2) (3)
- हमारे द्वारा खाए जाने वाले आहार
- हमारी सकारात्मक विचार की प्रक्रिया के आधार पर।
इसलिए दोस्तों, यह महत्वपूर्ण है कि हम किसी भी स्थिति को संभालने के लिए फिट, निडर, समझदार, प्रेरित और साहसी रहें।
आप को क्या लगता है की आपका इम्यून सिस्टम कैसा है? मजबूत, कमजोर या आपको अभी तक पता नहीं ? हमे comment करके जरूर बताये
इन सब सवालो के जवाब, और साथ में आपको फिट, निडर, समझदार, प्रेरित और साहसी बनाये रखने के लिए, मेरे पहले के कुछ ब्लोग्स जरूर पढ़े और दूसरो से भी शेयर करे।
- Best Juice to Drink Morning- Ash Gourd (Safed Petha)!
- Healthy Life: 5 Secret to Change your Life!
- Yoga for Kids: Children Basic Yoga Poses!
जय हिन्द!
आपका बेटा, भाई, दोस्त –
जसवीर सिंह
- कैसे पहचाने की हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर है? (How to Identify weak Immune system?)
- कैसे इम्यून सिस्टम को नैचरल तरीके से मजबूत बनाये? (How to naturally boost our Immune system?)
Explained with very practical examples.
I like personally very much and understood very well.
I liked personally very much. Explained very systematically.
Hi, I found above mentioned all the information are very useful in daily routine life and run to long in life with good health…many tips and suggestions I have already opted in my life from long….it always work without any failure.