PCOD और PCOS से जुड़े सवाल-जवाब, सभी महिला मित्रों के लिए Part – 2

आज का हमारा ब्लॉग, पिछले आर्टिकल का ही पार्ट 2 है। अगर आपने पहला आर्टिकल नही पढ़ा तो आप यहां क्लिक करके पढ़ सकते है।

निशा हमारे पास वापिस आ चुकी हैं और बड़े ही बेसब्री से अपना अगला अनुभव पेश करना चाहती हैं तो सुनिए निशा की कहानी, निशा के जुबानी।

निशा की बेचैनी

नमस्ते दोस्तो। मैं हूँ निशा, आज मैं आपको आगे का किस्सा सुनाकर अपनी कहानी पूरी करूंगी।

डॉक्टर के साथ सेशन हुए एक हफ्ता हो चुका था और दूसरे सेशन का हम सभी इंतजार कर रहे थे। इतने में टीचर ने अनाउंस किया के डॉक्टर आ गए है।

डॉक्टर मैडम के आते ही सबमें खुशी छा गई, लेकिन मैं उसी समय थोड़ी बेचैन भी थी। क्योंकि पिछली बार उन्होंने ऐसी चीज से रूबरू कराया था जो बिल्कुल नई थी, परन्तु हमारे ही शरीर से जुड़ी थी। इस बार हम सभी लड़कियों के जो सवाल थे, मैं उनके जवाबों को लेकर थोड़ा चिंतित थी।

आयुर्वेदिक डॉक्टर से सवाल-जवाब

इस बार हमने मासिक धर्म की समस्या से संबंधित, गूगल पर अपना शोध किया। इसलिए इस बार हमारे पास ज्यादा प्रश्न PCOS और PCOD को लेके था।

मैडम जी, “PCOS vs PCOD में क्या अंतर है?

डॉक्टर यह सुनकर खुश हुई कि हम खुद से ही इस विषय पर रिसर्च करने लगे हैं। उन्होंने बताया PCOD और PCOS यह अलग-अलग बीमारियां है और विस्तारित रूप से इन के बीच का अंतर बताया।

इसे बेहतर तरीके से समझाने के लिए हम इसे एक टेबल फॉर्मेट में समझा रहे हैं।

हमने पूछा की PCOS और PCOD के हमारे शरीर पर क्या क्या लक्षण है?

डॉक्टर ने बताया कि, “पीसीओडी और पीसीओएस ऐसी बीमारियां है जिनके प्राइमरी स्टेज में ही हम लक्षण देख सकते हैं। इनमें कुछ खास लक्षण है-

यदि आप इनमें से किसी भी लक्षण को अपने शरीर पर देख पाते हैं, तो संभावना है कि आपको PCOD (या) PCOS हो सकता है।
घबराये नहीं, तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।”

यह सुनते ही हमने ठान लिया इन लक्षणों पर खास नजर रखनी चाहिए।

हमने तुरंत डॉक्टर से पुछा की अगर यह लक्षण दिखाई दे, तो इस बीमारि से निदान कैसे पाए?”

डॉक्टर ने कहा, “किसी भी स्त्री-रोग विशेषज्ञ डॉक्टर को मिले और अपनी समस्याएँ बताये। किसी भी प्रकार के टेस्ट से पहले, डॉक्टर आपके “खाने की आदते” और “पिछले पीरियड्स” की जानकारी समझेंगे। इन सबके बाद, डॉक्टर आपके तीन प्रकार के टेस्ट करेंगे।

1. श्रोणि परीक्षा (Pelvic Test)

यह बाहरी अथवा आंतरिक अंगो की जांच और स्त्रीरोगों सम्बंदित समस्या का शारीरिक टेस्ट है। “महिला प्रजनन” और “मूत्र पथ” को प्रभावित करने वाले लक्षणों में उपयोग किया जाता है, जैसे दर्द, रक्तस्राव, निर्वहन (discharge), मूत्र असंयम, आदि।
यह टेस्ट मरीज के सचेत हालत में या फिर एनेस्थीसिया के तहत किया जा सकता है।

2. रक्त परीक्षण (Blood Test)

ब्लड टेस्ट हार्मोन के स्तर को समझने में मदद करता है। इसमें फास्टिंग लिपिड प्रोफाइल (कोलेस्ट्रॉल की जांच, उच्च-डेंसिटी-वाले लिपोप्रोटीन (HDL), ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर, कम-डेंसिटी-वाले लिपोप्रोटीन (LDL) के स्तर), ग्लूकोज का टेस्ट शामिल हैं।

3. इमेजिंग टेस्ट

अंडाशय के आकार, गर्भाशय की परत और अंडाशय में सिस्ट की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड इमेजिंग टेस्ट होता है।

यह तीनों टेस्ट काफी प्रभावशाली है और इनसे हम निदान कर पाएंगे कि पेशंट महिला इन बीमारियों से पीड़ित है या नहीं।”

फिर हमने पूछा, “इन बीमारियों से हमारी हेल्थ पर क्या असर होता है ?

डॉक्टर ने बताया, “हार्मोनल इंबैलेंस की वजह से हमारे शरीर के सारे सिस्टम पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। अगर आप में PCOD या PCOS उभरने की संभावना ज्यादा हो तो डॉक्टर नीचे दिए गए टेस्ट करने की सलाह देंगे।

  • रक्तचाप, ग्लूकोज, कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर की नियमित जांच
  • चिंता और अवसाद (depression) के लिए स्क्रीनिंग
  • अगर नींद आधी-अधूरी है उसकी नियमित जांच
  • PCOD/PCOS के लिए जीवनशैली में बदलाव और कुछ घरेलू उपचार सुझाएंगे।

इस बीमारी की गंभीरता समझने के लिए हमने पूछा, “क्या PCOD होने पर महिलाएं गर्भवती हो सकती है?

डॉक्टर ने समझाया “महिलाएं गर्भवती हो सकती है और गर्भावस्था पूरी कर सकती है इसके लिए भविष्य में आने वाले प्रॉब्लम को पहचान कर उन से बचने के लिए डॉक्टर से बात करना जरूरी है।”

इतना जान कर भी हम यह समझ नहीं पा रहे थे “यह बीमारी होती किसे है?”

डॉक्टर ने बताया कि
“यह 12 साल से 51 साल तक किसी को भी हो सकती है। लेकिन इसका प्रमाण शादीशुदा औरतों में ज्यादा है।
इसका कारण शादी के बाद तनाव और अचानक से जीवन शैली में बदलाव हो जाता है, जिसके कारण काफी हार्मोनल चेंजेज होने लगते हैं।
कई बार फैमिली प्लानिंग ठीक से ना होने पर भी इसका प्रभाव देखा जा सकता है।”

फिर आया सबसे महत्वपूर्ण सवाल-क्या यह बीमारियां सिर्फ सेक्शुअली एक्टिव महिलाओं को होती है ?

तुरंत डॉक्टर ने कहा “ऐसा कुछ नहीं। यह बीमारियां किसी भी महिला को हो सकती है फिर चाहे वह सेक्शुअली एक्टिव हो या ना हो।”

क्या पीसीओडी में हमारा वजन बढ़ सकता है?

हाँ।
हार्मोनल इंबैलेंस मेटाबॉलिज्म का बदलाव और एंड्रोजन जैसे पुरुष हार्मोन के बढ़ने के कारण अक्सर महिलाओं का वजन बढ़ा जाता है। पुरुषों जैसे ही महिला के शरीर में बदल होने लगते हैं जैसे पेट बड़ा होकर वहां चर्बी विकसित होना।

आखिर में हमने पूछा,PCOD/PCOS का समाधान क्या है?

इस पर डॉक्टर ने समझाया की इन बीमारियों से नुकसान तो होते हैं, लेकिन मौत होने का खतरा नहीं है। इन बीमारियों पर कोई स्थायी इलाज नहीं है। फिलहाल तो एक ही उपाय है लाइफ स्टाइल में चेंज करना।

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निशा अब निश्चिंत थी।

पिछले सेशन में जब इन बीमारियों के बारे में जाना था, थोड़ी बेचैनी और थोड़ा सा डर बैठ गया था। लेकिन इस बार जब डॉक्टर ने पूरी तरह से इन्हें समझाया तो जान कर अच्छा लग रहा था।

आज के समय की जरूरत है “शरीर के बारे में जानकारी होना”।

इसलिए मेरे सारे महिला मित्रों से निवेदन है की अपने शरीर में होने वाले बदलाव पर खासा ध्यान रखे।
ऐसा ना हो की कोई भी छोटे लक्षण, आगे बड़ी बीमारी में बदल जाये। अभी मैं चलती हूं, फिर मिलेंगे अगले ब्लॉग में तब तक अपना ध्यान रखिए।

मैं आज की नारी हूँ, सर्वगुण संपन्न कहलाऊंगी।
डरकर नहीं जियूँगी अब, निडर होकर दिखलाऊँगी।।

जय हिन्द!
अदिति म्हात्रे

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4 thoughts on “PCOD और PCOS से जुड़े सवाल-जवाब, सभी महिला मित्रों के लिए Part – 2”

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