स्वस्थ रहने का प्राकृतिक तरीका!

प्राकृतिक स्वस्थ रहने के लिए किसी भी दवाई की जरूरत नहीं है।

हमें दैनिक दिनचर्या, भोजन, विचारों और कर्मों से अपने शरीर की निगरानी और सफाई करनी है।

इससे हमारे सभी शारीरिक और मानसिक रोग, बिना किसी दवाई के जड़ से समाप्त हो सकते है।

स्वस्थ रहने का प्राकृतिक तरीका - Mind, Body & Soul

आसानी से समझने के लिए, हमने इस ब्लॉग में ऐसे उपयोगी टिप्स की लिस्ट बनाई है:

यह ना खाए ?

बिना भूख के खाना, महा पाप है । इस पाप का जो हमे फल मिलता है, उसे “रोग “ कहते हैं

-आचार्य जगदेव भारती जी,
दर्शन आश्रम,गांव बुढेडा, गुडगांव

आज हम सुबह से रात तक केवल घड़ी को देखकर खाते हैं, चाहे हमे भूख है या नहीं।

हम सुबह उठते ही सबसे पहले खाना पीना शुरू कर देते हैं और सारा दिन यह सिलसिला चलता हैं, इसी आदत के कारण हमारा शरीर रोगी हैं।

Eating food

प्रकृति का नियम हैं, जब हमारे शरीर को खाने की ज़रूरत होती हैं तो हमे भूख लगती हैं,
एवं जब भूख नहीं है तो इसका अर्थ है कि हमारे शरीर को कुछ भी खाने के लिए नहीं चाहिए।

आप अपनी इस गलत आदत को बदलकर सारी उम्र स्वस्थ रह सकते हैं।

90 प्रतिशत रोग केवल पेट से होते हैं।
Consitpation
  • पेट में “कब्ज” नहीं रहना चाहिए, अन्यथा रोगों की कभी कमी नहीं रहेगी। तो – रोजाना सुबह जल्दी अपना पेट साफ करना सुनिश्चित करें।
  • 160 रोग केवल “मांसाहार” से होते है।
  • 103 रोग भोजन के बाद “जल” पीने से होते हैं। भोजन के 1 घंटे बाद ही जल पीना चाहिये।
  • 80 रोग “चाय” पीने से होते हैं।
  • 48 रोग “ऐलुमिनियम” के बर्तन या कुकर के खाने से होते हैं। बर्तन मिटटी के ही प्रयोग करने चाहिए।
  • मिट्टी के बर्तन में भोजन पकाने से पोषकता 100%, कांसे के बर्तन में 97%, पीतल के बर्तन में 93%, अल्युमिनियम के बर्तन और प्रेशर कुकर में 7-13% ही बचते हैं।
  • शराब, कोल्डड्रिंक और चाय के सेवन से हृदय रोग होता है।
  • “अण्डा” खाने से हृदयरोग, पथरी और गुर्दे खराब होते हैं।
  • ठंडेजल (फ्रिज) और आइसक्रीम से बड़ी आंत (large intestine) सिकुड़ जाती है।
  • मैगी, गुटका, शराब, सूअर का माँस, पिज्जा, बर्गर, बीड़ी, सिगरेट, पेप्सी, कोक से बड़ी आंत सड़ती है।
  • दूध (चाय) के साथ नमक (नमकीन पदार्थ) खाने से चर्म रोग हो जाता है।
  • सफेद” नमक जहर के समान होता है। खाने के लिए सेंधा नमक सर्वश्रेष्ठ होता है, अथवा काला नमक
  • भोजन पकाने के बाद उसमें नमक डालने से रक्तचाप “(ब्लडप्रेशर) बढ़ता” है।
  • “सफेद” चीनी जहर होता है। मीठे में मिश्री, गुड़, शहद, देशी (कच्ची) चीनी का प्रयोग करना चाहिए
  • भोजन पकने के 48 मिनट के अन्दर खा लेना चाहिए।
    उसके पश्चात् उसकी पोषकता कम होने लगती है। 12 घण्टे के बाद पशुओं के खाने लायक भी नहीं रहता है।
  • गेहूँ का आटा 15 दिनों पुराना और चना, ज्वार, बाजरा, मक्का का आटा 7 दिनों से अधिक पुराना नहीं प्रयोग करना चाहिए
  • फल, मीठा और घी या तेल से बने पदार्थ – खाकर तुरन्त जल नहीं पीना चाहिए।
  • 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को मैदा (बिस्कुट, ब्रेड, समोसा आदि) कभी भी नहीं खिलाना चाहिए।

क्या खाए ?

प्रातः का भोजन राजकुमार के समान, दोपहर का राजा और रात्रि का भिखारी के समान करना चाइए।
  • चोकर (bran) खाने से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है। इसलिए सदैव गेहूं मोटा ही पिसवाना चाहिए। (1)
  • जल सदैव ताजा पीना चाहिये, बोतलबंद (फ्रिज) पानी बासी और अनेक रोगों के कारण होते हैं।
  • भोजन के पश्चात् पान, गुड़ या सौंफ खाने से पाचन अच्छा होता है। अपच नहीं होता है।
स्वस्थ रहने का प्राकृतिक तरीका 4
  • भोजन जो आग पर न पकाया गया हो, उसे खाने से – शरीर स्वस्थ रहता है और आयु दीर्घ होती है। यानी कच्चा खाना सेहत के लिए फायदेमंद होता है। उदाहरण गाजर, खीरा, टमाटर आदि।
  • सुबह खाली पेट करें “तुलसी” का सेवन करना चाइए। दिल, पाचन और सर्दी-ख़ासी में फायदेमंद, त्वचा में निखार, तनाव कम करने में, कैंसर को रोकने में मददगार है।
  • मूली प्रतिदिन खाने से व्यक्ति अनेक रोगों से मुक्त रहता है।
  • नीबू – टाइफाइड , दस्त , पेट के रोग तथा हैजा से बचाता है।
  • देशी घी या सरसों, तिल, मूंगफली अथवा नारियल का तेल ही खाना चाहिए। रिफाइंड तेल और वनस्पति घी (डालडा) जहर होता है।
  • खाने का चूना 70 रोगों को ठीक करता है।
  • मुलहठी चूसने से कफ बाहर आता है और आवाज मधुर होती है।
यह ब्लॉग चूना के उपयोग का लाभ उठाने में मदद करेगा (2)

दिनचर्या

  • भोजन के पश्चात् स्नान करने से पाचनशक्ति मन्द हो जाती है और शरीर कमजोर हो जाता है।
  • गर्म जल से स्नान से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है और शरीर कमजोर हो जाता है। गर्म जल सिर पर डालने से आँखें कमजोर हो जाती हैं।
  • खड़े होकर जल पीने से घुटनों (जोड़ों) में पीड़ा होती है। हमेशा बैठकर पियें, अगर किसी कारण से आप बैठ नहीं सकते हैं तो घुटने टेककर पानी पी लें।
  • पुरुषों के लिए, खड़े होकर मूत्रत्याग करने से रीढ़ की हड्डी को हानि होती है।
  • बाल रंगने वाले द्रव्यों (हेयरकलर) से आँखों को हानि (अंधापन भी) होती है।
  • शैम्पू , कंडीशनर और विभिन्न प्रकार के तेलों से बाल पकने , झड़ने और दोमुहें होने लगते हैं।
  • टाई बांधने से आँखों और मस्तिश्क हो हानि पहुँचती है।
  • जोर लगाकर छींकने से कानों को क्षति पहुँचती है।
  • मुँह से साँस लेने पर आयु कम होती है।
  • पुस्तक पर अधिक झुकने से फेफड़े खराब हो जाते हैं और क्षय (टीबी) होने का डर रहता है। इसलिए बच्चों को कम उम्र में ही अच्छी पोस्चर सिखाना जरूरी है।
  • जल जाने पर आलू का रस, हल्दी, शहद, एलो वेरा – में से कुछ भी लगाने पर जलन ठीक हो जाती है और फफोले नहीं पड़ते।
  • पैर के अंगूठे के नाखूनों को सरसों तेल से भिगोने से आँखों की खुजली लाली और जलन ठीक हो जाती है।
  • कुत्ता काटने पर हल्दी लगाना चाहिए।
  • टूथपेस्ट और ब्रश के स्थान पर दातून और मंजन करना चाहिए दाँत मजबूत रहेंगे।
  • देर रात तक जागने से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति कमजोर हो जाती है । भोजन का पाचन भी ठीक से नहीं हो पाता है आँखों के रोग भी होते हैं।
  • निरोग रहने के लिए अच्छी नींद और अच्छा(ताजा) भोजन अत्यन्त आवश्यक है।
  • यदि सम्भव हो तो सूर्यास्त के पश्चात् न तो पढ़ें और लिखने का काम तो न ही करें तो अच्छा है।

दोस्तों, ऐसे टिप्स हर घर में होने चाहिए।
कृपया अपने परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ भी साझा करें।

आइए प्राकृतिक तरीके से भारत को एक रोग मुक्त और स्वस्थ देश बनाएं। 🙏😊

स्वस्थ रहने का प्राकृतिक तरीका 6
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17 thoughts on “स्वस्थ रहने का प्राकृतिक तरीका!”

  1. फिट हमारा भारत के लेखक जसवीर सिंह जी का शुक्रिया समय समय पर आपको प्राकृतिक आदतों को फिर से अमल करने की प्रेरणा देता है और अच्छी आदतों को अपनाएं, बार बार चेतावनी हिदायतें और उसके फायदे बहुत हैं,हम समझे,लेख पढ़ने के बाद, हमें प्रेरित करता है
    आज बच्चों को इन आदतों को अपनाएं ऐसा घर की रसोई में खाद्यपदार्थ इस्तेमाल में होने चाहिए
    बच्चों में ग्रहणी में मोटापा ,चश्मे आम बात हो गई है ,इस लेख में जो लिखा है उसका आधा भी अपना लें तो यह सब बिमारियों से छुटकारा पा सकते हैं
    ऐसी ज्ञानवर्धक जानकारी देने के लिए
    शुक्रिया धन्यवाद
    आपका शुभचिंतक जयराज फोगाट

    प्रतिक्रिया
  2. “फिट हमारा भारत” एक प्रसंशनीय प्रयास!!
    जिवन के आपाधापी में तथा पाश्चात्य संस्कृति का अनावश्यक रुप से अनुकरण ने हम भारतीयों केवल रहन सहन ही नहीं खानपान को प्रभावित किया है।
    आजके ब्लॉग में आपने हम भारतीयों के लिए उचित भोजन संबंधी बडे सुलभता से बताया है वह अवश्य अनुकरणीय है।
    ब्लॉग लेखन से उचित खाने योग्य अनेक फल, चोकर, घी, मधु आदी के सुझाव से अवश्य लाभ होगा!
    भारतीय शाखाहारी व्यंजन पर आपने जो जोर दिया है, वह अवश्य लोगों को व्याधियों से दुर रखने में सहायक सिद्ध होगी।

    प्रतिक्रिया
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