अच्छे गुण की क्या कीमत है? अपने बच्चो को कैसे सिखाये ?

संसार में ईश्वर ने सब कुछ रखा है हमें उसे प्राप्त करने के लिए उसकी कीमत अदा करनी पड़ती है।

अगर पंसारी की दुकान से नमक तेल की जरूरत है तो उसकी कीमत देकर ही मिलते हैं। अगर हम हीरे-जवाहरात खरीदना चाहते तो हमें उसकी कीमत अदा करनी पड़ेगी।

हम चाहे कोई मुफ्त में दे दे या नमक तेल की कीमत में सस्ते मिल जाए, नहीं मिलेंगे।

इसी प्रकार हम अच्छे गुण सस्ते में या मुफ्त में लेना चाहें तो नहीं मिलेंगे।

क्या है बुरे गुण? कोनसे गुण मुफ्त में ही मिल जाते है ?

यह सारे गुण, मन के विकार, बहुत सस्ते या मुफ्त में ही मिल जाते हैं।

क्या है अच्छे गुण?

अच्छे गुण तो ईश्वर के पास हैं या महापुरुषों के पास होते हैं। वह अपने गुणों को इतना सस्ता नहीं देते। बुरे गुणों के विपरीत, अच्छे गुणों को पाने के लिए उनकी भारी कीमत चुकती करनी पड़ती है। सेवा, भक्ति, तप, त्याग, संयम, दुःख कष्ट, भोग कर चुकती करनी पड़ती है।

उसके बावजूद भी देने वाला खूब परीक्षा लेकर ही देता है, जब हम उसकी सभी परीक्षाएं पास कर लेते हैं तभी हम इस दौलत को पाने के योग्य बनते हैं। क्युकी यह दौलत बहुत वेश कीमती है। बिना योग्यता के कोई नहीं ले सकता। इसलिए बिना अच्छे गुणों के मनुष्य का जीवन मुलयहीन होता है।

सत्य बोलना

आजकल हम हर छोटी छोटी चीज़ो में झूठ बोल देते है, जैसे घर से निकले नहीं पर झूठ शुरू- की रास्ते में हूँ, 10 मिनट में पहुँच रहा हूँ, गाडी ख़राब होगयी आदि। क्या होगया अगर सच बोला तो?
वो व्यक्ति आपको दो बाते तो सुनाएगा। पर हम इतनी-इतनी बातो में झूठ बोल रहे है।

हमे लगता है की यह बड़ी बात नहीं है, पर यह बहुत बड़ी बात है। की आप इतना भी सच का सामना नहीं कर सकते और फिर हमे लगता है की हम जीवन की प्रॉब्लम का सामना कर लेंगे।

महाभारत में कहा गया है:

सत्यवादी लभेतायुरनायासमथार्जवम्।
अक्रोधनोऽनसूयश्च निर्वृत्तिं लभते पराम्॥ वन.२५९/२२॥
सत्य बोलने से आपको लम्बी आयु, सुखी जीवन, सरलता और शांत मन मिलता है।

सत्य को स्वीकार करना शुरू करे और उससे भागिए मत। आपके बच्चे आपको देख रहे हैं, और जब आप सच का सामना बिना डरे करते है तो वह भी छोटी-मोटी बातो में झूठ छोड़ देंगे।

जहां भी संभव हो हमेशा दूसरों की मदद करें।

मुझे यकीन है कि हम में से कई लोग, कई छोटी-छोटी चीजों में दूसरों की मदद करते रहते हैं। लेकिन मैं इसे अगले स्तर पर ले जाने की बात कर रहा हूं।

किसी भी वृद्धाश्रम या अनाथालय से जुड़े और कम से कम अपने हफ्ते का एक दिन या कुछ घंटे उनके साथ बिताएं। आप स्वतः ही उनकी सहायता करेंगे।
पैसा देना ही केवल मदद नहीं, बल्कि उनके साथ बात करना, उनकी कहानियाँ सुनना उन लोगों के लिए बहुत बड़ी मदद है, जो अकेले हैं

हमेशा अपने आसपास के पशु-पक्षियों की मदद करें। उन्हें रोजाना खाना खिलाना न भूलें। आपको अपने बच्चो को सिखाने की जरूरत नहीं है, वे देखेंगे और सीखेंगे।

सकारात्मक और उर्जा दाई लोगों के साथ रहे। गलत संग छोड़े

हमारे जीवन मे अशांति ,परेशानियां तब शुरु हो जाती है जब जीवन मे सत्संग नही होता। और इससे हममें बुरे गुणवत्ता आ जाती है।

हम जीवन को जीते चले जा रहे है, लेकिन कैसे जीना चाहिये, यह नहीं पता ?

धन कमा लिया, मकान बना लिया, शादी घर परिवार बच्चे सब हो गये, गाडी खरीद ली, फिर भी चिंता और परेशानी ख़तम नहीं होती।
सत्संग मे जीवन जीने की बाते बतायी जाती है, उसी से सच्चे आनंद और सुख की प्राप्ति होती है।

आज की मीडिया ने पैसा कमाने के लिए साधु-संतो की ऐसी-तैसी कर रखी है और हमारी पीढ़ी को सच्चाई से कुछ नहीं लेना-देना। Likes, share और subscribe की भागदौड़ चालू है। दूसरो को गिराना, जलील करना, मजाक बनाना मायने रखता है। सत्संग का महत्त्व खो गया है और इसीलिए इतनी मानसिक बीमारिया है।

कबीर जी कहते है:

राम बुलावा भेजिया, दिया कबीरा रोय
जो सुख साधू संग में, सो बैकुंठ न होय !!

संतो के संग से मिलने वाला आनंद तो बैकुण्ठ मे भी दुर्लभ है

सत्संग की बहुत महिमा है सत्संग तो वो दर्पण है जो मनुष्य के चरित्र को दिखाता है ओर साथ साथ चरित्र को सुधारता भी है।
रामचरित मानस में कहा गया है की:

सतसंगत मुद मंगल मूला।
सोइ फल सिधि सब साधन फूला॥
सठ सुधरहिं सतसंगति पाई।
पारस परस कुधात सुहाई॥
बिधि बस सुजन कुसंगत परहीं।
फनि मनि सम निज गुन अनुसरहीं॥

अर्थातद सत्संग सब मङ्गलो का मूल है. जैसे फुल से फल ओर फल से बीज ओर बीज से वृक्ष होता है उसी प्रकार सत्संग से विवेक जागृत होता है।

मेरा अनुरोध है की आप अपने आसपास सत्संग जाना शुरू करे और अपने बच्चो को भी लेजाए।

अपने अच्छे गुणों के कारण ही मनुष्य संसार में सम्माननीय होता है।

धन्यवाद 🙏

दर्शन आश्रम
गांव बुढेडा
गुडगांव

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2 thoughts on “अच्छे गुण की क्या कीमत है? अपने बच्चो को कैसे सिखाये ?”

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