|| Importance of Milk in our life || How to Identify Pure Milk? ||
प्राकृतिक सिधांत- हमारे जीवन में।
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प्राकृतिक जीवन के सिधांत के अनुसार जब बच्चा जन्म लेता है तो वह संसार की कोई भी चीज खा नहीं सकता इसलिए भगवान बच्चे के लिए विशेष दुध तैयार करके माँ के सतनो में भेजता है।
ना माँ ना कोई डाक्टर, बच्चे का शरीर बना सकता है ना ही दुध। माँ का शरीर एक माध्यम है। यह सब कार्य ईश्वरीय शक्ति के द्वारा होता है।
इस बात को सारा संसार व हमारी मैडीकल साइंस मानती है कि माँ के दुध के बराबर पोष्टिक व गुणकारी बच्चे के लिए दुनियाँ में कोई आहार नहीं है।
जैसे जैसे बच्चा बड़ा होता है उसके मुँह में दांत आते हैं धीरे धीरे माँ का दुध भी चला जाता है क्यूकि अब बच्चे को दुध की जरूरत नहीं।
भगवान ने दाँत दे दिए साथ ही दाँतो से चबा कर खाने वाला भोजन भी दे दिया। कोई भी जानवर अपनी मां के अलावा किसी दूसरे जानवर की माँ का दुध नहीं पीता अगर पीता है तो बहुत कम। इसलिए बड़े होकर हमें भी किसी दूसरे जानवर के दुध की जरूरत नहीं।
इससे हमें ईश्वर और प्राकृतिक सिधांत पर भरोसा हो जाना चाहिए कि जब हमारे मुँह में दांत नहीं थे हम लाचार थे तब हमारी चिंता किसको थी, जिसने हमें जीवन दिया तन दिया।
अब मुँह में दांत भी उसी ने दिए है तो दाँतो से चबा कर खाने वाला भोजन भी हमारे लिए दिया।
इसलिए अगर हमें दुध ही पीना है तो नारियल, बादाम, गेहूँ व सफेद तिलों का दुध पी सकते हैं।
दूध के बारे में क्या कहते है शास्त्र?
हमारे शास्त्रो के अनुसार गाय के दुध में हमारी मां के दुध के गुणों के समान गुण होते हैं। इसलिए गाय को माता कहा जाता है क्यूँ कि जैसे हमारी माँ हमारी पालना करती है वैसे ही गाय भी करती है। हमें सभी बिमारीयों से बचा कर स्व्स्थ्य व बुद्धिमान बनाती है।
दोगली/जर्सी या अमरीकन गायो का दुध अच्छा क्यों नहीं?
हमारी भारतीय नस्ल की देसी गाय ही असली गाय है। मगर विज्ञानिको ने ज्यादा दुध के लालच के कारण हमारी देसी गाय के बीज में सूअर के बीज की मिलावट करके जर्सी गाय बना दी जिसको अमरीकन या दोगली गाय भी कहते हैं।
सूअरी एक बार में दस पंदरह बच्चे देती है इतने बच्चों को पालने के लिए उसका दुध भी ज्यादा होता है। इसलिए देसी गाय में सूअर का बीज मिलाने से वह भी दुध ज्यादा देती है। इसलिए दोगली गाय के दुध में देसी गाय के दुध के गुण नहीं होते सूअरी के दुध के गुण होते हैं।
इसलिए दोगली गायो का दुध अच्छा नहीं माना जाता।
रिसर्च से पता चला है कि दोगली गायो के दुध से कैंसर भी होता है। देसी गाय दुध कम देती है इसलिए लोगों ने देसी गाय पालनी बन्द कर दी और जर्सी गाय पालनी शुरू कर दी। जब देसी गाय दुध नही देती उसको अवारा छोड़ देते हैं। इसलिए कसाईयों ने आवारा गायों को पकड़ कर काटना शुरू कर दिया।
इसलिए आज का मनुष्य तनाव वाद विवादों व बिमारीयों से सबसे ज्यादा दुखी है। मनुष्य की बुद्धि विनाशकारी हो गई है। अब उसे देसी गाय व उसके दुध की याद आ रही है।
हमारे विद्वानो की कहावत के अनुसार
जैसा खाईए अन्न वैसा होवे मन।
इसलिए सूअरो के बीज से बनी जर्सी गाय का दुध पी कर हमारे मन के विचार भी सूअरो जैसे हो जाएंगे। सूअरो का क्या काम होता है आस पास का गंद खाना और बच्चे पैदा करना।
ईश्वर ने हमें मनुष्य बनाया है हम एक अच्छे इन्सान न बन कर सूअरो जैसे बन जाए तो हमारे दुर्लभ मनुष्य जीवन का क्या हाल होगा?
कैसे करे- शुद्ध दुध की पहचान?
हमें अपने मनुष्य जीवन के लक्ष्य को पाने के लिए हमारा भोजन भी शुद्ध पवित्र, जो ईश्वर ने हमारे लिए बनाया है वही खाना चाहिए।
मनुष्य को छोड़ कर सभी जीव ईश्वर का बनाया भोजन ही खाते है इसलिए सब अपने स्व्भाव में रहते हैं।
गधा गधे की तरह रहता है घोडा घोडे की तरह। केवल मनुष्य ही मनुष्य की तरह नहीं रहता इस को मनुष्य बनाना पड़ता है।
देसी गायो का दुध दुर्लभ्भ है। ज्यादातर लोगों को शुद्ध दुध की पहचान ही नहीं है:
- जो गाय हररोज जंगल में धूमती हैं हरा चारा खाती है।
- ऐसी गायों का दुध अमृत है।
- यह दुध थोड़ा पतला होता है।
- जो दुध हरी धास से बनता है वह पतला ही होता है।
- यह दुध हमारे खून को भी पतला करता है।
लोग गाढ़े दुध को अच्छा मानते हैं जिसको गर्म करने पर मोटी मलाई आए।
जो गाय खुली जगह घूम कर हरी घास खाती है उसका दुध पतला होता है और गर्म करने पर मलाई भी पतली आती है। मगर दुध गुणकारी होता है।
जो गाय घास कम खाती है खली, बिनोला व बाट ज्यादा खाती है उसका दुध गाढ़ा होता है गर्म करने पर मलाई भी मोटी आती है।
जब गाय बिआती है तब भी गाय का दुध पतला होता है धीरे धीरे गाढ़ा होता जाता है।
ज्यादातर दुध बेचने वाले ग्राहक की मानसिकता के अनुसार ही दुध देते हैं। ग्राहक दुध गाढ़ा माँगता है तो कुछ मिला कर गाढ़ा करके देते हैं पतला माँगता है तो पतला करके देते हैं।
जिसको पैसा कमाना है उसको दुध की गुणवत्ता से कोई मतलब नहीं वह तो जैसा ग्राहक खुश हो कर दुध लेता है वैसा ही बना कर दे देते हैं।
किसी को शुद्ध दुध की पहचान ही नही है इसलिए दुध का धंधा इतना खराब हो गया है।
गाय को बुद्धीमान माना जाता है। भैस को कोई बुद्धीमान नहीं कहता।
इसलिए हमारे विद्वानो ने कहावत बनाई है
भैस के आगे बीन बजाना। काला अक्षर भैस बराबर।
भैस का दुध पीने से शरीर व बुद्धि भैस जैसी मोटी हो जाती है।
गाय का दुध:
- हमारी बुद्धि को तीष्ण करता है।
- शरीर में cholesterol नहीं बढ़ने देता।
- BP को सामान्य रखता है।
- ह्रदय की बिमारी नहीं होती।
- कभी heart attack नहीं होता।
- इसमें कैल्शियम भरपूर होता है।जो हमारी हड्डियों व मासपेशीयों को मजबूत बनाता है।
- इसमें melatonic त्तव होता है जो रात को गहरी नींद लाता है। गहरी नींद आने से ही हमारी बहुत सारी बिमारीयाँ दूर हो जाती हैं।
- आँखो की दृष्टी तेज होती है।
- बच्चों की growth अच्छी होती है।
- घुटने, कमर दर्द व अस्थमा जैसे रोगों में लाभकारी है।
- हमारी memory बढ़ती है। मूर्ख से मूर्ख व्यक्ति भी बुद्धिमान बन जाता है।
- बच्चे आज्ञाकारी हो जाते हैं। घर से कलह कलेश मिट जाता है। परिवार में खुशहाली व समृद्धि आती है।
देसी गायों का दुध स्व्स्थ्य के लिए बहुत गुणकारी है, मगर गाय असली हो तो।
गाय के दुध का उपयोग कैसे करना है यह भी बहुत महत्वपूर्ण है वर्ना तो फायदे की जगह नुकसान ही करता है। बिना सोचे समझे गलत उपयोग करने पर दुध हानिकारक होता है।
दुध का उपयोग कैसे करें। अगले क्रम में बताएँगे ।
धन्यवाद।🙏
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दर्शन आश्रम
गाँव बूढेडा
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