Caution! क्या आपका बच्चा भी पूरा दिन Mobile फोन से चिपका रहता है? Get Rid of this habit!

आपने भी नोटिस किया होगा कि स्‍मार्टफोन अब हमारे लिए सबसे ज्‍यादा जरूरी हो गए हैं। हम सुबह उठकर सबसे पहले फोन चेक करते हैं और रात को सोने से पहले भी फोन ही चेक करते हैं।

बच्‍चों में भी ये बुरी आदत लग रही है और इसका गलत असर उनकी जिंदगी पर साफ दिख रहा है।

डिजिटल उपकरणों से घिरी दुनिया में रहना निश्चित रूप से एक वरदान है। हालांकि, जब वही गैजेट एक मजबूरी बन जाते हैं, तो यह हमारी जिंदगी के लिए एक हानिकारक मोड़ ले सकता है। स्मार्टफोन की लत न सिर्फ बड़ों बल्कि बच्चों में भी आम हो गई है।

2019 में प्रकाशित एक अध्ययन ने 2011 और 2017 के बीच 41 अध्ययनों का मूल्यांकन किया और सुझाव दिया कि 23% बच्चों के पास “समस्याग्रस्त स्मार्टफोन का उपयोग करते हैं” जो उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है

स्‍मार्टफोन की लत का असर

स्मार्टफोन के ज्यादा इस्तेमाल से बच्चों का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य खराब हो सकता है। अत्यधिक स्मार्टफोन का उपयोग व्यवहार संबंधी मुद्दों, नींद की गड़बड़ी, ऊब, मोटापा, कम ध्यान देने की अवधि और खराब सामाजिक कौशल जैसी कठिनाइयों का कारण बन सकता है।

​कंपलसिव बिहेवियर (Compulsive Behavior)

फोन का ज्‍यादा इस्‍तेमाल करना एक अनोखी समस्या उत्पन्न कर सकता है और वह है कंपलसिव बिहेवियर, जिसमें

  1. एक ही काम को लगातार और दोहराने की इच्छा होती है।
  2. बार-बार फोन चेक करना, उससे दूर ना जा पाना।
  3. हमेशा बैटरी खत्‍म होने या चार्जर भूल जाने के बारे में चिंतित रहना आदि हो सकता है।

जब ये कारक बच्चे के दैनिक जीवन को प्रभावित करना शुरू कर देते हैं, तब उनका स्मार्टफोन का उपयोग अति से बाहर हो जाता है।

​इन संकेतों को इग्‍नोर ना करें

अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्‍चा इस लत से छुटकारा पाकर अपनी जिंदगी पर ध्‍यान दे तो आप सबसे पहले उसमें इस लत के संकेतों को पहचानने की कोशिश करें

आगे हम आपको बच्‍चों में फोन की लत के कुछ लक्षण या संकेत बता रहे हैं।

  1. अनिद्रा या सोने में कठिनाई,
  2. फोन को लेकर चिंता रहना,
  3. क्रोध
  4. आक्रामकता, बाध्यता, सेल्फ आइसोलेशन
  5. अपनों से दूरी बनाना
  6. फोन ना ढूंढ पाने पर बेचैन हो जाना।

क्यों लगती है बच्चों को मोबाइल की लत?

बच्चों में मोबाइल की लत लगने के कारणों को हम निम्न बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं।

  1. बच्चों को प्यार-दुलार के चलते मोबाइल देना।
  2. रोते बच्चों को बहलाने के लिए उन्हें मोबाइल देकर चुप कराना।
  3. खाना खाने के लिए उन्हें मोबाइल देने का लालच देना।
  4. माता-पिता का यह सोचना कि कम उम्र में मोबाइल ऑपरेट करना बच्चे के विकास के लिए लाभकारी होगा।
  5. बच्चों को खुद से दूर रखने और किसी विशेष काम को करने के लिए बच्चों को मोबाइल देकर बहलाना।

बच्चे की मोबाइल की लत छुड़ाने के उपाय | Baccho Ka Mobile Kaise Chhudaye

इन खास बातों को अपनाकर बच्चों से मोबाइल की लत छुड़ाई जा सकती है।

मोबाइल गेम की जगह बच्चे को आउटडोर गेम खेलने के लिए प्रेरित करें। इससे उसका शारीरिक विकास तो होगा ही, साथ ही वो सामाजिक तौर पर भी लोगों से जुड़ेंगे।

जितना हो सके बच्चों के साथ अधिक से अधिक समय बिताएं। वजह यह है कि इस समय बच्चों को सबसे ज्यादा मां-बाप के प्यार और दुलार की जरूरत होती। आपके साथ रहने से वह मोबाइल से अपने आप दूर हो जाएगा।

बच्चों को प्यार से समझाएं कि मोबाइल उनके लिए नुकसानदायक है। साथ ही उनके शौक के हिसाब से बच्चों को डांस, म्यूजिक और पेटिंग जैसे कामों को करने के लिए प्रेरित करें, जो उनके बेहतर विकास के लिए फायदेमंद साबित होगा।

बच्चों को बहलाने के लिए मोबाइल की जगह किसी खिलौने का इस्तेमाल करें। हो सके तो उन्हें कोई पालतू जानवर लाकर दें।

ऐसा करने से वह मोबाइल से तो दूर होंगे ही, साथ ही उनमें भावनात्मक सुधार भी देखने को मिलेगा।

बच्चों को मोबाइल फोन के जोखिम से बचाने के लिए सुझाव

मोबाइल फोन के जोखिम से बच्चों को बचाने के लिए निम्न बातों को जरूर ध्यान में रखें।

  • 16 साल से कम उम्र के बच्चों को मोबाइल बिलकुल भी न दें। कारण यह है कि 16 से कम उम्र में बच्चे का मस्तिष्क बहुत संवेदनशील होता है, जो मोबाइल से निकलने वाले विकरण को सहने के लिए तैयार नहीं होता।
  • बच्चों को सीधे मोबाइल हाथ में न पकड़ाएं। अगर आपको उन्हें कुछ खास (गाना या कुछ और) सुनाना चाहते हैं, तो हेडफोन का इस्तेमाल करें। ध्यान रहे कि हेडफोन भी बच्चों के काम पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। इसलिए, इसका प्रयोग कम आवाज में और बड़ी ही सावधानी के साथ किया जाना चाहिए।
  • लिफ्ट, ट्रेन, बस या कार में बच्चों को मोबाइल बिलकुल भी इस्तेमाल न करने दें, क्योंकि ऐसा करने से रेडिएशन की तीव्रता बढ़ सकती है, जो बच्चों के लिए नुकसानदायक है।
  • नेटवर्क न होने की स्थिति में बच्चों को बिलकुल भी मोबाइल न दें। कारण यह है कि इस स्थिति में मोबाइल नेटवर्क के लिए नए एंटीना से जुड़ने का प्रयास करेगा, जिससे रेडिएशन की तीव्रता बढ़ सकती है।
  • घर या स्कूल का चुनाव करते वक्त ध्यान रखें कि आसपास कोई मोबाइल टावर न हो।
  • इस बात का आपको ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों के बेडरूम में सोते वक्त मोबाइल न रहे।

निष्कर्ष

Smart phone

मोबाइल आपके जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है, लेकिन इसके बच्चों पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। लेख में आपको इसके नुकसानों के बारे में समझाया गया है। वहीं बच्चों को मोबाइल की लत न लगे इसके लिए भी कुछ आसान उपाय बताए गए हैं। इसके विपरीत अगर आपका बच्चा मोबाइल में चिपका रहता है, तो उसे मोबाइल से दूर करने के कुछ विकल्प भी आपको लेख के माध्यम से सुझाए गए हैं। इन्हें अपनाकर आप बच्चों को भविष्य में आने वाले बड़े जोखिमों से बचा सकती हैं।

इस विषय में कोई अन्य सवाल और सुझाव हों, तो आप उन्हें नीचे दिए कमेंट बॉक्स के माध्यम से हम तक पहुंचा सकते हैं।

जय हिन्द!
-हर्ष चतुर्वेदी

उम्मीद है कि यह लेख आपके लिए लाभकारी रहा होगा।

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सूत्रों का कहना है

  1. Development of infants’ attention to faces during the first year By Ncbi
  2. Effects of Mobile Phones on Children’s and Adolescents’ Health: A Commentary. By Ncbi
  3. Effects Of Using Mobile Phones Too Much By Ecfsapi
  4. Neurologic Diseases By Medlineplus
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