क्या शक्ति का स्रोत, भोजन है? Secrets of Power Life!

Is food the source of power?

सिर्फ भोजन ही शक्ति का स्रोत नहीं है।

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प्राण शक्ति

🌸भोजन हमारी मूल आवश्यकता है लेकिन सिर्फ भोजन ही शक्ति का स्त्रोत नहीं है। भोजन शरीर के निर्माण व टूट फूट के लिए जरूरी है।

जैसे मकान बनाने के लिए लोहा सीमेंट ईंटें रोडी रेत वगैरह सामान की जरूरत है। मगर लेबर मिस्त्री व आर्कीटेक्ट के बिना मकान नहीं बन सकता।

इसी प्रकार भोजन खाने से अपने आप शरीर को शक्ति नहीं मिल सकती। हमारे अंदर की प्राण शक्ति खाए हुए भोजन को पचाने के बाद ही शरीर को कुछ शक्ति मिलती है। भोजन कितना भी पोष्टिक खालो जब तक प्राण शक्ति द्वारा पचेगा नहीं शरीर को कोई शक्ति नहीं मिल सकती।

यह बात सुनने में अटपटी सी लगती है लेकिन इसी बात की पुष्टि हम अपने दैनिक जीवन में रोज करते हैं किसी ना किसी रूप में।

गहरी नींद

🌸 यदि तीन समय या चार समय हमें स्वादिष्ट व पोष्टिक भोजन दिया जाए लेकिन रात को सोने न दिया जाए तो क्या हम अगले दिन सुबह शरीर में शक्ति सफूर्ति महसूस करते हैं ?

नहीं।

क्योंकि खाया हुआ भोजन रात को गहरी नींद आने के बाद ही पच कर शरीर के अंगों का निर्माण व टूट फूट की मुरम्मत करके शरीर को शक्ति प्रदान करता है। इसलिए अगर रात को गहरी नींद नहीं आती तो सिर्फ भोजन खाने से शरीर को शक्ति नहीं मिलती।

पानी

🌸 यदि कोई व्यक्ति बिमार हो, चल फिर ना सकता हो या बेहोश हो जाये तो क्यों हम दूध, घी या तेल के छींटे नहीं मारते ? बल्कि पानी के छीटें मारते हैं और पिलाते हैं।

क्योंकि बिमारी व मूर्छित अवस्था में पाचन शक्ति मंद पड़ जाती है। इसलिए कुछ नहीं खिलाया जाता। केवल पानी के छीटें मारे जाते हैं और पानी पिलाया जाता है। क्योंकि पानी आसानी से हज़म हो जाता है और दर्द निवारक का काम भी करता है।

अगर भोजन से ही शक्ति मिलती तो बिमार व कमजोर व्यक्ति भोजन खाने से दौडने लग जाए। मगर ऐसा नहीं है। शरीर को शक्ति प्राण शक्ति द्वारा मिलती है जो ईश्वर से प्राप्त होती हैं।

सदमे में पाचनशक्ति मंद

🌸 प्राय: सभी धर्मो में यह देखा जाता है कि जब घर में किसी की मृत्यु हो जाती है , तीन-चार दिन चूल्हा नहीं जलता।
क्योंकि घर में किसी की मृत्यु होने पर सारा परिवार सदमे में चला जाता है सदमे में पाचनशक्ति मंद होने के कारण खाना पचता नहीं इसलिए तीन चार दिन चुल्हा नहीं जलाया जाता।

चिंता के कारण भूख नहीं

🌸जिस दिन घर में बेटी कि शादी होती है उस घर मे माँ – बाप कन्यादान से पहले सामान्य भोजन नहीं करते। बेटी की विदाई के बाद ही वो सहज होकर भोजन करते है।

क्योंकि बारात, आए हुए मेहमानों व बेटी की सही सलामत विदाई की चिंता के कारण भूख नहीं लगती व पाचनशक्ति काम नहीं करती। इसलिए भोजन न करने का नियम बना हुआ है।

प्राण शक्ति के गूढ रहस्य (Secrets of Power Life)

🌸 ये सब हम देखते है, सुनते है लेकिन इसके पीछे प्राण शक्ति के गूढ रहस्यों को नहीं जानते।

इसलिए जो लोग बिना भूख, तनाव चिंता, डीप्रेशन में भोजन खाते हैं उनको खाना पचता ही नहीं। जब भोजन पचता नहीं तो सड़ता है और बिमारी पैदा करता है।

इसलिए इस नियम की पुष्टि होती है कि बिना प्राण शक्ति के सिर्फ भोजन ही शक्ति का स्रोत नहीं है।
प्राकृतिक भोजन से मन शांत, गहरी नींद, तीव्र पाचनशक्ति द्वारा भोजन पचाने से ही शक्ति मिलती है।

इसलिए जब मन शांत हो तीव्र भूख लगी हो तभी मौसम अनुसार प्रकृति प्रदत्त भोजन का ही सेवन करें। अप्राकृतिक भोजन तो किसी भी हालत में नहीं खाना चाहिए। यह मन में विकार और शरीर के अंगों को दुर्बल करके रोगी बना देता है।

आपका जीवन स्वास्थ्य रहे।

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दर्शन आश्रम
गांव बूढेडा, गुडगांव

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