बाइपोलर डिसऑर्डर एक जटिल मानसिक बीमारी है जिसमें रोगी या तो बहुत उदास रहता है या लगातार कई महीनों या हफ्तों तक बहुत उत्साहित। यह एक चक्रीय विकार (साइक्लिक डिसऑर्डर) है, जिसमें प्रभावित व्यक्ति का मूड बारी-बारी से दो अलग-अलग और विपरीत अवस्थाओं में चला जाता है। (1)
आंकड़े बताते हैं कि:
- 0.3 प्रतिशत भारतीय बाइपोलर डिसऑर्डर से ग्रसित हैं और
- 70 प्रतिशत बिना उपचार के जी रहे है।
हालांकि इसका इलाज भी मुमकिन है।
क्या यही है बाइपोलर की कहानी ?
मेरठ के मलियाना रेलवे फाटक के पास रविवार शाम को एक महिला अपने बच्चों के साथ ट्रेन के आगे कूद गई। घटना से इलाके में हड़कंप मच गया। पति की शराब की लत और उसके दूसरी महिला से संबंध के शक ने आरती का परिवार ही उजाड़ दिया। शेरू से 12 साल पहले उसकी शादी हुई थी। तब आरती ने सुनहरे जीवन के सपने देखे थे, लेकिन समय बीतने के साथ ही उसकी जिंदगी में हताशा बढ़ती गई और अंजाम यह हुआ कि मां ने अपने साथ बच्चों की जिंदगी भी खत्म करने की ठान ली। गनीमत रही कि 10 साल की बच्ची काजल और आठ माह का मासूम बच गया। खुदकुशी से पहले इस मासूम को आरती घर पर ही छोड़कर चली गई थे। मगर अब सवाल यह है कि इन बच्चों का भविष्य क्या होगा।
ये सारी कहानियां हम शायद हर दुसरे दिन सुनते हैं, और इसका सबसे बड़ा कारण है बाइपोलर डिसऑर्डर
यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें पीड़ित व्यक्ति के व्यवहार में तेजी से परिवर्तन आने लगता है। ऐसा व्यक्ति अचानक से तनाव में आ जाता है और उसका आत्मविश्वास एकदम से चरम पर हो जाता है। जबकि दूसरे ही पल में वह एकदम शांत हो जाता है। इस बीमारी में कई बार व्यक्ति चाहकर भी अपने व्यवहार पर नियंत्रण नहीं रख पाता।
आमतौर पर यह बीमारी नशीले पदार्थों का सेवन करने वाले लोगों में पाई जाती है।
बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण
नींद की समस्या
यदि आपको नींद न आने की समस्या है तो आप बाइपोलर डिसऑर्डर से ग्रसित हो सकते हैं।
ऐसे लोगों को ज्यादा डिप्रेशन की वजह से नींद नहीं आ पाती जिससे वह अकसर थकान महसूस करते हैं।
काम में गड़बड़ी
बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति किसी काम को अच्छे से नहीं कर पाता।
दूसरों से बात करने में परेशानी और उनके काम में लगातार गड़बड़ी होती रहती है।
शराब का सेवन
जो शराब व नशीली दवाओं का उपयोग डिप्रेशन से बाहर आने के लिए करते हैं।
ऐसे लोग शराब के इस्तेमाल से डिप्रेशन से बाहर तो नहीं आ पाते, बल्कि बाइपोलर डिसऑर्डर के शिकार हो जाते हैं
ऊर्जा में कमी
बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति का आम लक्षण है कि वह किसी कार्य को पूरा करने में असमर्थ महसूस करता है।
इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति अपनी पूरी ऊर्जा काम में नहीं लगा पाते है, जिससे उनके किसी भी काम के पूरा होने में परेशानी होती है।
ऊर्जा की कमी के कारण ऐसे लोग एक समय में एक ही काम कर पाते हैं।
चिड़चिड़ापन
बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति में पागलपन और डिप्रेशन दोनों ही एक साथ दिखाई देते है।
पागलपन और डिप्रेशन होने के कारण वह अकसर चिड़चिड़े बने रहते हैं।
उनका छोटी-छोटी बातों में चिड़चिड़ा व्यवहार करना आम होता है।
चिड़चिड़ेपन के कारण ही उनके करीबी रिश्ते भी खराब हो जाते हैं।
कल्पना में रहना
बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति हमेशा अपने ख्यालों में खोया रहता है।
वह अपने खयालों में न जाने कहां तक पहुंचा जाता है। ऐसे व्यक्ति के दिमाग में हजारों बातें चलती रहती हैं जिन पर उनका काबू नहीं रहता।
एक ही बात को बार-बार बोलना
किसी बात को जल्दी-जल्दी बोलना या एक बात को कई बार बोलना बाइपोलर डिसऑर्डर का लक्षण है।
ऐसे व्यक्ति अपनी बात के आगे दूसरे की बात नहीं सुनते।
वह दूसरों को बोलने का मौका नहीं देते और इनका वार्तालाप एक तरफा ज्यादा होता है।
बाइपोलर डिस ऑर्डर पर नियंत्रण
बाइपोलर डिसऑर्डर को नियंत्रित करने के लिए तनाव का स्तर कम होना चाहिए। इसके साथ ही मरीज को भरपूर नींद के साथ ही नशीले पदार्थो के सेवन से दूर और अपने आत्मविश्वास को मजबूत रखना चाहिए।
साथ ही दवा, मनोवैज्ञानिक इलाज और पारिवारिक काउंसलिंग आदि महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखे।
तनाव का प्रबंधन
डॉक्टर: जब तुम तनाव में होते हो तो क्या करते हो?
मरीज: जी मैं मंदिर चला जाता हूं।
डॉक्टर: बहुत अच्छा। ध्यान लगाते हो ना वहां?
मरीज: जी नहीं, लोगों के जूते-चप्पल मिक्स कर देता हूं। फिर उन्हें तनाव में देखकर मेरा तनाव दूर हो जाता है।😂
बाइपोलर डिसऑर्डर का प्रमुख कारण तनाव है इसलिए तनाव कम से कम लें।
तनाव के स्तर को कम करने के लिए सबसे पहले आपको यह जानना जरूरी है कि तनाव का क्या कारण है।
कारण जानने के बाद तनाव से छुटकारा पाने की कोशिश करें। जैसे आप सकारात्मक और उर्जा दाई लोगों के साथ रहे, जहां भी संभव हो हमेशा दूसरों की मदद करें, निचे दिया गया ब्लॉग पूरा पढ़े मदद मिलेगी
साथ ही आपको अपनी भावनात्मक एवं शारीरिक प्रतिक्रिया पर भी गौर करना चाहिए। यह समझकर समस्या को नजरअंदाज न करें कि यह खुद ठीक हो जाएगी। ऐसा करने से स्थिति बिगड़ सकती है।
खान-पान में सुधार
‘जैसा खाये अन्न, वैसा बने मन||
सनातन धर्म में भोजन को ईश्वर स्वरूप माना गया है। हमारे भोजन का सीधा प्रभाव हमारे चरित्र व मन पर पड़ता है।
जैसा पिये पानी, वैसी बने वाणी||
जैसा करे संग, वैसा चढ़े रंग||
असंतुलित भोजन आपके तनाव को बढ़ाती है। तनाव के ज्यादा बढ़ने से बाइपोलर डिसऑर्डर की समस्या बनती है। इसलिए स्वस्थ खान-पान को अपनी आहार में शामिल करें।
स्वस्थ रहने का प्राकृतिक तरीका
फास्ट फूड और हमेशा कुछ चबाते रहने की आदत से छुटकारा पाने की कोशिश करें।
नकारात्मक पहलुओं के बारे में न सोचें
बाइपोलर डिसऑर्डर में तनाव उस समय और बढ़ जाता है जब व्यक्ति घटित घटनाओं के बारे में सोचता है।
बहुत से लोगों को यकीन नहीं होता कि वे
बहुत ज़्यादा सोचते है (overthinking)
आप जिस मानसिक व्याकुलता का अनुभव कर रहे हैं, उसके स्तर को मापने का एक अच्छा तरीका है की आप छोटे बच्चों के साथ बाहर घूमने जाये। वे हमेशा आपके आस-पास के कई और विवरणों को नोटिस करेंगे क्योंकि उनका दिमाग अभी तक अतीत और भविष्य की चिंता नहीं करता।
यदि आपके साथ कुछ ऐसा हुआ है, जिसे सोचकर आप तनाव में आ जाते हैं तो जीवन मे सत्संग जाना शुरू करे।
हमारे जीवन मे अशांति ,परेशानियां तब शुरु हो जाती है जब जीवन मे सत्संग नही होता।
हम जीवन को जीते चले जा रहे है, लेकिन कैसे जीना चाहिये, यह नहीं पता?
कृपया हमारा यह ब्लॉग पूरा पढ़े बहुत लाभदायक सिद्ध होगा – डिप्रेशन के अनछुए पहलु! इलाज – 4 Simple, Effective, Long Term Depression Solution।
जाते जाते तुम्हारे Knowरेश अंकल जी का कहना है कि-:
हँसते दिलो में ग़म भी हैं,
मुस्कुराती आँखे कभी नम भी हैं,
दुआ करते है आपकी हंसी कभी न रुके,
क्योकि आपकी मुस्कुराहट के दीवाने हम भी हैं…
जय हिन्द!
-हर्ष चतुर्वेदी
6 thoughts on “आते हैं दिमाग में सुसाइड के विचार? Bipolar Disorder लक्षण और इलाज!”