आज का हमारा ब्लॉग, निशा नामक एक छोटी बच्ची की पीरियड्स और मेंस्ट्रूअल हाइजीन पर कहानी है।
वैसे तो यह टॉपिक को टैबू माना जाता है। और ऐसे व्यक्तिगत विषयों के बारे में बात करने से माता-पिता और बच्चे थोड़ा असहज महसूस कर सकते हैं। लेकिन बच्चों को विश्वसनीय जानकारी चाहिए।
निशा अपना अनुभव उसी की जुबानी इस ब्लॉग में प्रस्तुत करती है। ताकि उसी उम्र की अन्य लड़कियां को इसका लाभ मिले, इस ब्लॉग को पढ़ने वाले लड़के/पुरुष इसे अपनी बहनों, दोस्तों और अन्य जान-पहचान की महिलाओं के साथ शेयर कर सकें।
Table of Contents
निशा की आपबीती
नमस्कार। मेरा नाम है निशा, मेरी उम्र 13 साल और मैं आठवीं कक्षा में पढ़ती हूं। मैं आज मेरे साथ घटे, 2021, के एक किस्से के बारे में बताना चाहती हूं।
मैं हमेशा की तरह सुबह उठकर स्कूल गई। कुछ ही देर हुई थी कि अचानक मुझे ब्लीडिंग स्टार्ट हो गई। मैं डर गई, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। मेरे मन में काफी सवाल उठ रहे थे:
- सोचने लगी क्या मैं बीमार हूं?
- क्या मुझे कोई चोट लगी है?
- खून रुक ही नहीं रहा?
- क्या मुझे इस बारे में किसी से बात करनी चाहिए?
बहुत समय तक सोचने के बाद मैंने डिसाइड किया कि अपने टीचर से बात कर लेनी चाहिए। मैंने अपनी क्लास टीचर के पास जाकर उनको यह बात बता दी। उन्होंने तुरंत मेरे घर पर कॉल करके मेरे पेरेंट्स को बुलवा लिया। फिर वह आकर मुझे घर ले गए।
घर जाने के बाद मुझे अपनी मां से पीरियड के बारे में जानकारी मिली। यह सब मेरे लिए बहुत नया था और इस बारे में इससे पहले कभी सुना भी नही था।
कुछ दिन बाद क्लास की बाकी लड़कियां भी जब इस दौर से गुजरने लगी तब हमारे स्कूल ने एक आयुर्वेदिक डॉक्टर के साथ खास इस विषय पर हमें एजुकेट करने के लिए सेशन रखा।
मुझे आज भी याद है जब वह सेशन चालू हुआ तब इतने सारे सवाल हो कर भी हम में से हर कोई कुछ भी पूछने के लिए झिझक रहे था। पर वह डॉक्टर सच में बहुत अच्छी थी उन्होंने हमारी ओकवार्डनेस को दूर करके हम सब को बहुत कंफर्टेबल फील करवाया। धीरे-धीरे हम अपने डाउट्स उनसे पूछने लगी।
आयुर्वेदिक डॉक्टर से सवाल-जवाब
हमारा पहला प्रश्न था ज्यादातर लड़कियों को “पीरियड्स कब आते हैं?”
इस पर डॉक्टर ने रिप्लाई दिया, के ज्यादातर लड़कियों को पहली बार 12 साल की उम्र में ही पीरियड्स आ जाते हैं। लेकिन 10 से 16 साल की उम्र के बीच कभी भी पीरियड्स आना ठीक है। हर लड़की के शरीर का अपना शेड्यूल होता है। इसमें कोई भी सही या गलत उम्र नहीं है। (Source 1)
हमें इसका जवाब तो पता चल गया लेकिन “पीरियड्स होते क्यों है?“
यह एक खूबसूरत प्रक्रिया है, दुनिया को चलाने और नए जीवन दान के लिए ❤।
यह प्रक्रिया से आपके शरीर को गर्भावस्था के लिए तैयार करने में मदद करता है।
कई सारे साइंटिफिक टर्म्स की मदद से डॉक्टर ने बताया के पीरियड्स हार्मोनल चेंजेज की वजह से होते हैं। हमारे बॉडी फीमेल हारमोंस जैसी एस्ट्रोजन (estrogen) और प्रोजेस्ट्रोन (progesterone) रिलीज करते हैं जो यूट्रस (uterus) के लाइनिंग पर बिल्ड-अप होते हैं। यह बिल्ड-अप फर्टिलाइज्ड एग को विकास करने में मदद करता है। जिस से गर्भावस्था शुरू होती है।
अगर कोई फर्टिलाइज्ड एग है ही नहीं तो बिल्ड-अप टूट कर ब्लीडिंग के थ्रू (रक्तस्राव) बाहर आ जाता है, यही प्रोसेस हर महीने होते रहती है।
फिर हमारा अगला सवाल था “क्या पीरियड शुरू होते ही कोई लड़की प्रेग्नेंट हो सकती है?“
डॉक्टर ने कहा, हां, पीरियड शुरू होते ही लड़की प्रेग्नेंट हो सकती है।
उन्होंने समझाया कि कभी-कभी लड़कियां अपनी पहली अवधि शुरू होने से पहले ही गर्भवती हो सकती हैं, यह तब होता है जब हार्मोन पहले से सक्रिय होते हैं जो ओव्यूलेशन का कारण बनते हैं। ऐसे दुर्लभ मामलों में, लड़की गर्भवती हो सकती है, भले ही उसे पहले कभी मासिक धर्म न हुआ हो।
बहुत सी महिलाओं और लड़कियां यह सोचती है की अगर वो पीरियड्स के समय संबंध बना रही है तो वह प्रेग्नेंट नहीं होगी लेकिन ऐसा सोच लेना पूरी तरह सही नहीं है ऐसे बहुत से मामलें है जिनमें माहवारी के समय संबंध बनाने पर महिलाएं प्रेग्नेंट हुई है।
इसके बारे में तो हमें पता था फिर भी हमने पूछा “पीरियड्स कितने समय तक चलते हैं?“
डॉक्टर ने हमें समझाते हुए कहा,”आमतौर पर एक मेंस्ट्रूअल पीरियड लगभग 4-8 दिनों तक रहता है। लेकिन एक उम्र के साथ यह कम ज्यादा हो सकता है।” (Source 2)
एक पूर्ण मासिक धर्म चक्र (menstrual cycle) 25-30 दिनों तक चलता है। इसमें निम्नलिखित चरण होते हैं:
Days 1–5 | अंडे वाले फॉलिकल्स ovary पर विकसित होते हैं। यही समय लड़कियों में पीरियड्स के दौरान, ब्लीडिंग (रक्तस्राव) होती है। |
Days 6–8 | एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे गर्भाशय की परत मोटी हो जाती है। आठवे दिन तक, आमतौर पर रक्तस्राव बंद हो जाता है। |
Day 14 | यह ओव्यूलेशन का दिन है। एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे फॉलिकल अंडे को छोड़ देता है। |
Days 15–24 | प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे गर्भाशय (uterus) की परत और भी अधिक मोटी हो जाती है। |
Days 25–28 | एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का स्तर गिर जाता है। फर्टिलाइज्ड एग है ही नहीं, तो यह एग शरीर छोड़ देगा, और चक्र फिर से शुरू हो जाएगा। |
यह सुनते ही हमारा अगला प्रश्न था “पीरियड कितनी बार आता है?“
जिसपे उतर आया- मासिक धर्म आमतौर पर हर 4-5 सप्ताह में एक बार होता है। लेकिन कुछ लड़कियों के पीरियड्स थोड़े कम या ज्यादा बार आते हैं।
ऐसा कहने के बाद डॉक्टर ने एक गंभीर विषय के बारे में चर्चा शुरू की। विषय था PCOS (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम)। इस बारे में हमने पहले कभी कुछ सुना नहीं था हम सब एक दूसरे की ओर देखते रह गए।
डॉक्टर ने बताया कि यह तेजी से बढ़ने वाली एक बीमारी है और इसके बारे में सबको जानकारी होनी चाहिए।
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) के बारे में आज भी देश में जागरूकता बहुत कम है लेकिन 10 में से एक महिला इस बीमारी से पीड़ित है।
इस रोग का शारीरिक, मानसिक और समग्र स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव पड़ता है। कई बार इससे प्रेगनेंसी में भी प्रॉब्लम होती है। यह सुनकर हमारे मन में कई सवाल उठने लगे और एक एक करके हमने डॉक्टर को पूछें।
मुझे कैसे पता चलेगा कि “मुझे पीसीओएस (PCOS) तो नहीं?“
इस रोग के लक्षण अस्पष्ट हो सकते हैं, इसलिए आपको विशेष ध्यान रखना होगा।
अनियमित पीरियड्स (Irregular periods) इसके प्रमुख लक्षण हैं। इसके लिए कोई फिक्स उपचार नहीं है लेकिन हम कुछ टेस्ट जैसे – अल्ट्रासाउंड और ब्लड टेस्ट, की सहायता से इसकी पहचान कर सकते हैं।
और क्या लक्षण है पीसीओएस (PCOS) के ?
उन्होंने बताया, यदि निचे दिए गए कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें: (Source 3, 4)
- सबसे पहला लक्षण है अनियमित मासिक धर्म
- पीसीओएस वाली एक तिहाई महिलाएं के (विशेष रूप से युवा महिलाएं) मुँहासे देखे जा सकते है।
- बालों का झड़ना
- अनचाहे अंगों पर बालों का उगना जैसे ठोड़ी, चेहरे, छाती, पीठ, पेट आदि
- बढ़ता वजन
- व्यवहार या स्वभाव में बदलाव होना जैसे कि अचानक से उदास हो जाना, चिंता में डूबे रहना, चिड़चिड़ा महसूस करना आदि
- गर्भधारण में समस्या
- अंडाशय में सिस्ट
- डिप्रेशन या एंग्जायटी (जरूर पढ़े)
इसके बाद तो घंटी बजी और समय खत्म हुआ। खुशी थी कि हमें काफी जानकारी मिली लेकिन हमारे कई ऐसे सवाल थे जो समय की पाबंदी के वजह से हम पूछे नहीं पाए।
डॉक्टर ने बताया की वह अगले हफ्ते वापस आएंगी, और हम भी ब्लॉग के शेष भाग को पूरा करने के लिए आएंगे।
दोस्तों, बच्चों को अपने स्वास्थ्य के बारे में अच्छे निर्णय लेने में मदद मिलेगी, अगर हम उन्हें उनका शरीर समझने में मदद करे तो, विशेष रूप से महिलाएं।
कोमल है कमजोर नहीं तू,
शक्ति का नाम ही नारी है !!जग को जीवन देने वाली,
मौत भी तुझसे हारी है !!
सतियों के नाम पे तुझे जलाया ,
मीरा के नाम पे जहर पिलाया !!
सीता जैसी अग्नि परीक्षा,
आज भी जग में जारी है !!
कोमल है कमजोर नहीं तू,
शक्ति का नाम ही नारी है !!
जय हिन्द!
-अदिति म्हात्रे
Very good information bro..