नमस्कार दोस्तो! “तनाव को कैसे कम करें” (How to Reduce Stress) के ऊपर मैंने कई लेख ओर ब्लॉग पढ़े। निःसन्देह बहुत सारे अच्छे लगे और असरदार भी।
तनाव एक ऐसा पहलू है जो लोगो के जीवन में कड़वाहट ला रहा है। नीचे दिए गए आंकड़े देखकर गंभीरता समझ आती है।भारत में तनाव के स्तर :- (1)
आज का ब्लॉग, मेरा खुद का (Personal) अनुभव और साधु -संतो के सनिध्यों से मिला ज्ञान है।
इससे मुझे लाभ हुए और यक़ीनन आपको भी होंगे।
Table of Contents
कौन है हमारे तनाव का कारण ? (Reason for stress)
दोस्तों, आइये नीचे दी गई बातो पर विचार करते है:
- पहली बात, अगर आपको विकल्प मिले – की आपका अपना भीतर कैसा होना चाहिए – खुश या दुःखी। तो आप क्या चुनेगे? यह बिलकुल साफ़ है, और इस में कोई दो राय नहीं की आप 100% खुश रहना चाहते है।
- दूसरी बात, हम ऐसे युग में जी रहे हैं, जो हमारे इतिहास की तुलना में प्रौद्योगिकी (Technology), शिक्षा (Education) अथवा चिकित्सा (medical) के क्षेत्र में अत्यधिक उन्नति कर चुका है।
इन दो बातो को विचार किया जाये तो हमे तनाव होना ही नहीं चाहिए। फिर भी हम तनावग्रस्त है, क्यों?
एक अध्ययन के अनुसार, अधिकतर लोगों का तनाव उनकी नौकरी (Job), परिवार, Personal Finance और उनके जीवन के हालात हैं।
परन्तु क्या वास्तविकता में यही कारण है ?
हम हालातों को किस तरीके से मैनेज (manage) करते हैं, यह इस बात पर भी निर्भर करता है की हमारे भीतर हमारा खुद का system कितनी सहजता (simpleness) से चलता है।
मूल रूप से तनाव का मतलब यह है की हम अपने system को manage नहीं कर पा रहे हैं। (2)
अगर हम अपने जीवन में तनावमुक्त होना चाहते हैं, तो हमे सबसे पहले अपने ऊपर काम करना होगा।
किस का साथ जरुरी ?
दुनिया में कोई भी चीज़ 100% हमारे अनुसार नहीं चलेगी, कभी भी नहीं !
लेकिन कम से कम “एक” व्यक्ति को हमारी इच्छा अनुसार चलना चाहिए (to reduce stress)।
यह व्यक्ति कोई और नहीं, “हम खुद” है- हमारा मन, हमारी सोच और हमारा शरीर। (3)
बाहर की परिस्थिति (situation), लोग उस तरीके से बनायेंगे जिस तरीके से वे अपना जीवन जीना जानते हैं।
चाहे वो आपका पति, पत्नी, ऑफिस के colleagues, कोई प्रेमी या प्रेमिका ही क्यों ना हों।
परन्तु हमारे अंदर की स्तिथि को वैसा ही बनना चाहिए जैसा हम चाहते है “यह हमारा काम है“।
और कुछ छोटे छोटे अभ्यासों की मदद से हम यह सब बड़ी आसानी से कर सकते हैं |
5 Tips to Reduce Stress
उपाए 1: धैर्य ही कुंजी है (Patience is the Key)|
भगवान् और सेवक की कहानी
एक बार एक मंदिर में सफाई करने वाला सेवक भगवान् की मूर्ति की तरफ देख कर कहता है “हे भगवन! आप बोर नहीं होते, इतने सालो से एक ही जगह खड़े-खड़े“
भगवान् बोले “अगर धैर्य है तो ठीक, वरना जो में कर रहा हु बरसो से -अगर तुम करो तो बेचैनी होगी, जो चिंता और आखिर में तनाव बन जायेगा ।”
सफाई करने वाला “भगवान् अगर ऐसा है तो एक दिन के लिए आप मुझे अपना काम करने दो और आप मेरा काम करके देखो”, “क्यों ना हम अपना जीवन बदल कर देखें। “
सेवक बना भगवान्
भगवान् मान गए और बोले “ठीक है, एक दिन तू मेरे रूप में इधर मूर्ति बनके खड़ा रह, पर याद रहे – तुझे किसी से बात नहीं करनी और ना किसी बात का जवाब देना है, बस मूर्ति बनके खड़े रहना।” “मैंने सब के लिए कुछ सोच रखा है, ठीक है?“
सफाई करने वाला मान गया, और अगले ही दिन वो भगवान् के स्थान पर उनके रूप में मूर्ती बनकर खड़ा हो गया।
पहला भक्त आया (एक व्यापारी था)– वो भगवान् के पास माथा टेकता है और कहता है “हे भगवन, मुझपे अपनी कृपा बनाये रखना, मेरी शान-ओ-शौकत बढ़ाये रखना, मेरे पैसो को दिन-दुगना और रात-चौगना करना”
ऐसा कह कर वो भगवान् के सामने खड़ा हो जाता है, और उसका बटुआ (wallet) गिर जाता है। वह बिना बटुआ पर ध्यान दिए, मंदिर से निकल जाता है।
भगवान् रूप में भी, सेवक को चिंता?
यह देखकर मूर्ति रूप में खड़े, सेवक को चिंता हुई, और मन-ही-मन सोचा की क्यों ना इस भक्त को आवाज़ लगा के इसका बटुआ दे दू।
लेकिन उसे भगवान्, की बात याद आगयी “की तुझे किसी से बात नहीं करनी, बस मूर्ति बनके खड़े रहना।
वह खड़ा रहा और उस व्यापारी का बटुआ मंदिर में ही पड़ा रहा।
इतने में दूसरा भक्त मंदिर आता है (एक गरीब किसान था)– 1 रूपया भगवान् के आगे चढ़ाता है, और कहता है “भगवान् मेरे पास एक ही रूपया था, वो भी आपको चढ़ा दिया, मेरे घर में पैसो की कमी है खाने के लिए भी पैसे नहीं है.. भगवान् कुछ ऐसा करो की मेरे पास पैसो की कमी ना रहे”
यह बोलकर जैसे ही वह खड़ा हुआ उसे गिरा हुआ बटुआ दिखा। उसे लगा भगवान् ने उसकी सुनली और भगवान् का शुक्रिया करके बटुआ घर लेके चल पड़ा।
यह देख कर मूर्ति के रूप में खड़े, सेवक को और भी ज्यादा चिंता होती है, और मन-ही-मन उसे विचार आता है की उस भक्त को बता दे की यह बटुआ उसके लिए नहीं रखा अपितु यह किसी और का है, और वह उसकी चोरी कर रहा है। परन्तु भगवान् की बात याद आते ही वो चुप मूर्ति बनकर खड़ा रहा। चुप-चाप खड़े रहने से उस सेवक को लगने लगता है की वह गलत का साथ दे रहा है और ऐसे ख्यालों से उसे चिंता और बेचैनी होने लगती है।
इतने में तीसरा भक्त वहां आ जाता है (एक नाविक (Ship Sailor) था)– वह भगवान् क पास माथा टेक कर कहता है कि के बोलता है “की भगवान् मुझ पर अपनी कृपा बनाये रखना, मैं कल से 15 दिन की समुद्री यात्रा पर जा रहा हूँ”
वह माथा टेक कर उठता ही है की पहला भक्त व्यापारी, police को लेकर आ जाता है और इस नाविक को arrest करने के लिए कहता है – की यही व्यक्ति मेरे बाद आया है और यकीनन इसी ने बटुआ चुराया है।
अब यह देख कर मूर्ति बने सेवक का धैर्य टूटता है, और उसे यकीन हो चलता है की ऐसी प्रस्थिति में असली भगवान् भी बोल पड़ते और उस नाविक को बचा लेते।
सेवक ने खोया धैर्य
मूर्ती रूप में सेवक “मैं भगवान् हूँ, मुझे पता है ये चोरी इस नाविक ने नहीं की, परन्तु गरीब किसान ने की है।
इस नाविक को रिहा करो और चोरी के अपराध में उस गरीब किसान को arrest करो”
भगवान् के मुख से ऐसी बाते सुन कर, police ने गरीब किसान को ग्रिफ्तार और नाविक को रिहा कर दिया।
पहला भक्त अपना बटुआ लेके घर चला गया, गरीब भक्त को police ने पकड़ लिया और नाविक अपनी समुद्री यात्रा के लिए निकल पड़ा।
यह इन्साफ दिलाकर मूर्ति रूप में सेवक बहुत खुश था।
शाम को असली भगवान् आए और सेवक से दिनचर्या की खबर ली। सेवक ने इस घटना को विस्तार पूर्वक भगवान् को ज्यों का त्यों बता दिया, की कैसे उसने इन्साफ दिलाया और बिगडा काम सुधार दिया।
धैर्य” और “विश्वास” के महत्व को समझाया
भगवान् ने मुस्कराते हुए कहा “की तूने काम सुधारा नहीं, बल्कि बिगाड़ दिया है।
वह बोले “जो पहला भक्त, व्यापारी, आया था वह बहुत बड़ा चोर है और उसकी सारी कमाई चोरी की है।
अगर उसका बटुआ उस गरीब किसान के घर जाता तो उसका पाप कर्म कुछ कम होता”
“जो गरीब किसान था उसको भी कुछ मदद मिल जाती”
और वह जो तीसरा भक्त, नाविक था, वह अगर यात्रा पर गया तो समुद्री तूफ़ान से मारा जायेगा। इसीलिए उसका जेल जाना आवश्यक था। अन्यथा उसके बच्चे अनाथ और पत्नी विधवा हो जायेगी “
भगवान् कहते हैं की, अगर तुमने धैर्य और मुझ पर “आस्था” रखी होती तो तीनों भक्तों भला होता।
कहीं वह सेवक हम तो नहीं?
दोस्तों, ऐसा ही हमारी जिंदगी के साथ भी होता है – हमारे साथ जो भी होता है हम यही सोचते हैं की ऐसा क्यों हो रहा है? और हमारे साथ ही क्यों? अधिकांश तनावग्रस्त स्थिति के लिए धैर्य “कुंजी” है। (To reduce stress, Patience is the Key!) (4)
धैर्य, प्रतीक्षा करने की क्षमता नहीं है, बल्कि प्रतीक्षा करते समय एक अच्छा रवैया रखने की क्षमता है।
उपाए 2: भगवद गीता ज्ञान (Reduce stress with Bhagavad Gita)
आप परिणाम या भविष्य को सोचने में ज्यादा अपना सिर ना खपाएं।
कई लोग सुबह उठते ही अपना राशिफल (horoscope) देखते है, की उनके साथ आज क्या क्या होने वाला है।
अगर कोई इनसे पूछे की – “राशि तो राम जी की और रावण की भी एक ही थी, श्री कृष्ण और कन्स की भी एक ही थी। तो फिर कुछ बदला क्यों नहीं ?
क्योंकि आपके कर्म करने की शक्ति ही, नतीजा या भविष्य बदलने की क्षमता रखती है |
उसी प्रकार जब भी हम कोई काम करें, तो उसे 100% भागीदारी और समर्पण के साथ करें। उसे हासिल करने की कोशिश करें।
आप या तो सफल होंगे या असफल, आपको फल या परिणाम की चिंता किये बिना अपने काम को करते रहना है |
परिणाम या भविष्य के बारे में बहुत ज्यादा चिंता न करें, बस अपना कर्म करते जाएँ ।
उपाए 3: हल कैसे खोजें (Solution to Reduce Stress)
- समस्या को एक कागज़ पर लिखें। आपको यह समझना बहुत जरुरी है की समस्या है क्या। हम सब को, कई बार “असली” समस्या पता ही नहीं होती और व्यर्थ की चिंता में खपे जाते है। सही समस्या को समझे !
- खुद से सवाल करें “क्या इस समस्या का हल आपके पास है” ?
जवाब इन में से एक होगा –
“हाँ” समस्या का हल है | “नहीं” – समस्या का हल नहीं है | Confuse हु और जवाब “पता नहीं” |
तो फिर Action लेने की जरुरत है | कई बार हम ऐसे मोड़ पर आ जाते हैं कि समस्या का हल नहीं होता। | ऐसी पपरिस्तिथि में अपने बड़े -बुजर्गो से बात करें। |
पहले plan बनाये, सुनिश्चित करें कि आपका Plan या goal smart हो। (यहाँ देखे कैसे (6) | सबसे पहले इस बात को स्वीकार (Accept) करे। | सर्वोपरि माँ-बाप हो तो उनसे बात करे, वे बिना किसी पक्षपात के सही सलाह देंगे। |
अब उस Action को पूरी 100 % भागीदारी से और समर्पण भाव से करे। | हम में से कई लोग इस बात को स्वीकार नहीं कर पाते और खुद से ही भागते रहते है। याद रहे हमें किसका साथ जरुरी है? | आप अपने किसी घनिष्ट मित्र से भी मदद ले सकते है। |
धैर्य रखे, भगवान् और सेवक की कहानी स्मरण रहे। | ध्यान रहे! | |
बहुत साहस चाहिए चीज़े स्वीकारने को। हमेशा निडर रहे। | अपनी ऐसी घटना सब के साथ share करना भी ठीक नहीं, क्योकि लोग बात की खिली उड़ा कर समस्या पर कोई मदद नहीं करेंगे। |
उपाए 4: ध्यान करे
ध्यान का अर्थ
आँखे बंद करना नहीं, बल्कि खोलना है।।
बंद तो पहले से ही है।।
-गुरु देव नामधारी
- एक आरामदायक स्थिति में बैठें। आप कुर्सी पर भी बैठ सकते हैं।
- अपनी आँखें बंद करें और अपनी भौहों के बीच ध्यान केंद्रित करें।
- गहरी सांसें लेना शुरू करें और हर सांस को गिनें।
- इस प्रक्रिया के दौरान, शुरुआत में, आप विचारों की सुनामी महसूस करेंगे, लेकिन इसे बनाए रखें और इस पर अधिक ध्यान न दें। सिर्फ काउंटिंग पर ध्यान दें।
ध्यान के उपयोगी लिंक:
कैसे करे, (Video 1)
सरल साधना, (7)
ध्यान के लाभ (8)
नियमित ध्यान, छुट्टियों (vacation) में घूमने जाने की तुलना में, अधिक फायदेमंद है, (9) (to reduce stress, meditation is best in comparison to vacations).
दिल का शीशा तो साफ़ कर खुदा के आने के लिए,
ध्यान गैरों का भी हटा दे उसे बिठाने के लिए !-तुलसी साहिब
उपाए 5: व्यायाम करें |
व्यायाम सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक है, जो आप तनाव से निपटने (to reduce stress) के लिए कर सकते हैं।
इसके माध्यम से अपने शरीर पर शारीरिक तनाव डालने से मानसिक तनाव दूर हो सकता है।
जब आप नियमित रूप से व्यायाम करते हैं, तो लाभ भी सबसे ज्यादा होते हैं।
जो लोग नियमित रूप से व्यायाम करते हैं, वे उन लोगों की तुलना में चिंता का अनुभव कम करते हैं जो व्यायाम नहीं करते हैं।
सुबह टहलने से, विशेष रूप से तनाव में राहत मिलती है। अपने schedule में एक्सरसाइज को जरूर शामिल करें।
निष्कर्ष (Conclusion)
भारत में “Stress Management” के ऊपर बहुत सारे course उपलब्ध है।
जिनमे हमे यह सिखाया जाता है कि तनाव कैसे संभाला जाये।
हमारे इस ब्लॉग का उद्देश्य यही बताना था, की तनाव के पैदा होने का सवाल ही नहीं होता- अगर हम अपने शरीर, अपने मन, अपनी भावनाओ और अपनी ऊर्जाओ को मैनेज करना जानते है। (to reduce stress, manage your internal system)
हाँ, ऐसा करने के लिए ऊपर बताये गए अभ्यास नियमित रूप से करने जरुरी है।
कृपा कर अपने दोस्तों के साथ भी इसे share करें और अपने सवाल या feedback जरूर दें।
Very nicely written. The author has kept in mind all readers while penning down the article making it so easy to grasp, relate and understand. Thank you
Thanks Sagar, good you liked it 🙂
Really useful information 👏
Please keep spread the knowledge 🙏🏻
Thanks Sachin 🙂
Very nicely written
thanks Krishanji 🙂
That was something connected with culture …brilliant quote of mantras and nicely written
Thanks Nitinji 🙂
Very nice.
Thanks BalwanJi 🙂
Very helpful 🙂
Thanks Ruth:)
Hi Jas,
Very much required in this critical situation. Every second person out of 3 is stressed.
Bhagwan Sevak story really give positive vibes to many.
Thanks Habbi ji 🙂 Yes, I agree the story is very motivating 🙂
Very insightful, thought provoking and brilliantly written….
Thanks Chetan ji 🙂
Wonderful Jasveer!!! This is definitely a new side of you that I am seeing !!
Structured and organized well. Also a highly relevant topic in today’s world.
All the best!
Thanks Preethi Mam, great you got some time to read it. 🙂
Very well written article. Everyone should read this.
Thanks for the words Prajwal 🙂
Good flow of thoughts
Nicely expressed
Must read and to be self implemented to make work life balance
Big tummy and stresse face reflects negative personality
You have given choice to become cheerful person
Thanks Jairaj ji 🙂
Stress and BMI management is very important rule of happy life. Article written in a very simple language and a comman man can understand . I have attanded many on line classes and one and all lecturer emphasis on reduce weight and manage stress. In covid19 pandemic people are confined in their houses and loosing patience. Domestic violence cases increased dramatically. So everyone should read and follow the steps which stated . Very good article .
Thanks Karambir Ji 🙂
Very well written Jasveer & explain by very simple example.
I like most the your Bhagwan and Bhakt example & it will be memorable to me lifetime. So please keep it up.👍👍👍
Thanks Pradeep ji :), I could co-relate to story too.
Very nice super duper written keep it up and Weldon my dear Jasu.