रोग का कोई अस्तित्व नहीं है। हमारी गलतियों का दंड- रोग है।

||Disease does not exist. The punishment for our mistakes is disease||


🌸 अगर जीवन में प्राकृतिक अनुशासन को अपनाकर चलेंगे तो स्वास्थ्य बढ़ेगा और रोग अपने आप गायब हो जाएगा। अगर अनुशासनहीन रास्ते पर चलेंगे तो स्वास्थ्य गिरता जाएगा ।

प्राकृतिक अनुशासन क्या है?

रोग स्वास्थ्य की न्युनता है (Disease is the deficiency of the health)

🌺 हमारे दैनिक जीवन में हम जो कुछ गलतियां करते हैं उन्हीं के असर से शरीर कमजोर होता जाता है। इसी कारण शरीर का हर अंग अपना काम ठीक नहीं करता है। शरीर का सारा काम ढीला पड़ जाता है।

  • स्नायु शक्ति (नाड़ी तंत्र) कमजोर हो जाता है और गहरी नींद भी नहीं आती।
  • शरीर की अंदरूनी सफाई बिगड़ती जाती है।
  • शरीर में विकार इकट्ठा होता जाता है और एक तरह की अशांति पैदा होती है।

शांति और आनंद जो स्वास्थ्य की अवस्था में शरीर में स्वाभाविक होते हैं उनकी कमी होने के कारण शरीर में कई तरह की तकलीफे (जिन्हें रोग के लक्षण कहते हैं) होने लगते हैं।

आजकल एक बहुत बड़ी गलती की जाती है

🌺 वह यह है कि शरीर की सफाई के वक्त जो खांसी, ज़ुकाम, बुखार, फोड़ा फुंसी, अलर्जी, छींके, उल्टी दस्त के लक्षण प्रकट होते हैं, लोग उन्हें ही रोग समझते हैं। जबकि यह शरीर की सफाई की क्रियाएं हैं।

हम इनको रोग समझकर दवाई खाकर अंदर ही दबा देते हैं। कुछ दिनों बाद वह अंदर दबी हुई गंदगी और भयंकर रोग का रूप धारण कर लेती है। दवाई खाकर थोड़ा सा आराम मिल जाता है, तो समझते हैं कि रोग ठीक हो गया है।

मगर कुछ समय बाद वही गंदगी मंद और मारक भयंकर रोगों का रुप धारण कर लेती है फिर उन बिमारियों का इलाज दवाईयों के द्वारा सारा जीवन चलता रहता है बिमारियां जटिल होती जाती हैं और एक दिन आईसीयू में मोटा पैसा खर्च करके जीवन का अंत हो जाता है।

अब क्या करे ?

  1. 🌺 शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए प्राकृतिक नियमों का पालन करना चाहिए।
  2. 🌺 स्वास्थ्य रक्षा के लिए हर मनुष्य को उचित प्राकृतिक भोजन, भूख लगने पर उचित मात्रा में करना चाहिए।
  3. 🌺 ऐसे ही शुद्ध वायु ,पानी, सूरज की रोशनी, व्यवहार, कर्म, सेवा सत्संग और ध्यान को भी उचित ढंग से करना चाहिए।

जैसे विचार वैसा जीवन

हम स्वस्थ रहने के लिए अपना सब कुछ देने को तैयार हो जाते हैं।

अपना सब कुछ किसी को देने से स्वास्थ नहीं मिल सकता। जीवन और स्वास्थ्य ईश्वर की देन है। यह ईश्वर के नियमों का पालन करने और अपना सब कुछ प्रभु सेवा में अर्पित करने से ईश्वर कृपा द्वारा स्वास्थ जरुर मिल सकता है।

निस्वार्थ भाव से सारी मानवता की सेवा ही ईश्वर की सेवा होती है। इसलिए अपने जीवन का कुछ समय और धन मन से प्रभु सेवा में अवश्य लगाएं।

आजकल हमारे विचार सब उल्टे ही हो रहे हैं। सेवा करने की जगह सेवा करवाने के विचार आते हैं। भगवान अंतर्यामी है हमारे सब विचार जान लेता है। इसलिए जिनके विचार सेवा करवाने के होते हैं भगवान उनको रोगी व दुर्बल बना देता है ताकि वह सारा जीवन अपनी सेव करवाते रहे और जो सेवा करने का भाव रखते हैं भगवान उनको स्वस्थ, खुशहाल, धनवान व शक्तिशाली बना देता है ताकि वह सारा जीवन सेवा करते रहे।

जो व्यक्ति सदा दूसरों से लेने की भावना रखता है कभी किसी को देना कुछ नहीं चाहता भगवान उसको भिखारी बना देता है। वह सारा जीवन लोगों से लेता रहता है। जो संसार को देने की भावना रखता है भगवान उसको अमीर बना देता ताकि वह सबको देता रहे।

अच्छे और बुरे विचार

हमारे जैसे विचार होते हैं वैसा ही हमारा जीवन बन जाता है।

🌹💐||धन्यवाद||🌹💐

दर्शन आश्रम
गांव बूढेडा
गुड़गांव

सूत्रों का कहना है (References)

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2 thoughts on “रोग का कोई अस्तित्व नहीं है। हमारी गलतियों का दंड- रोग है।”

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